वोट चोरी पर विपक्ष के हंगामे के बीच देश के इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट में EVM मशीन को खोला गया, रजिस्टार की निगरानी में दोबारा वोटों की गिनती हुई और हारे हुए प्रत्याशी को विजेता घोषित किया गया. यह अनोखा मामला हरियाणा के पानीपत के बुआना लाखु गांव में सरपंच पद के चुनाव के बाद प्रत्याशी की हार-जीत को लेकर उपजे विवाद में सामने आया. इस दौरान दोनों प्रत्याशियों के सामने वोटों की गिनती हुई और पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी की गई, जिसके बाद हारे हुए प्रत्याशी मोहित मलिक को विजेता घोषित कर दिया गया.
बता दें कि बुआना लाखु गांव में सरपंच पद के लिए 2 नवंबर को मतदान हुआ था, जिसके बाद कुलदीप कुमार सिंह को विजेता घोषित कर दिया गया, हालांकि हारे हुए प्रत्याशी मोहित मलिक ने चुनाव परिणाम को अतिरिक्त सिविल न्यायाधीश (वरिष्ठ प्रभाग)- सह-चुनाव न्यायाधिकरण के समक्ष चुनौती दी. इसके बाद जब सुप्रीम कोर्ट के सामने वोटों की दोबारा गिनती कराई गई तो मोहित को विजयी घोषित कर दिया गया.
अधिकारी की एक चूक से बदला चुनाव परिणाम
2 नवंबर को संपन्न हुए चुनाव परिणाम में एक अफसर की मामूली चूक के कारण कुछ घंटे के लिए दो सरपंच बन गए थे. प्रशासन ने दोनों को विजेता का सर्टिफिकेट दिया लेकिन कुछ ही देर में यह गलती भारी पड़ गई. वोटों की दोबारा गिनती में जीता हुआ कैंडिडेट हार गया. अफसरों ने जब पड़ताल की तो गड़बड़ी सामने आ गई.
पड़ताल में सामने आया कि गांव के एक बूथ पर बैठे पीठासीन अधिकारी से दोनों प्रत्याशियों के परिणामों की अदला-बदली हो गई थी, जिसके बाद जब सभी बूथों पर वोटों की काउंटिंग हुई तो कुलदीप जीत गए. गांव के लोगों ने जब बूथवार गणना की तो गलती सामने आ गई.
सात प्रत्याशियों ने लड़ा था चुनाव
बुआा लाखू गांव में 7 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा था, जिसमें से दो प्रत्याशियों कुलदीप और मोहित के बीच कड़ा मुकाबला था. वोटिंग के लिए 65, 66, 67, 68, 69 और 270 बूथ बनाए गए थे जिसमें बूथ नंबर 69 पर प्रिसाइडिंग अधिकारी से गलती से रिजल्ट बदल गया, जिससे कुलदीप विजेता बन गए. गलती पकड़े जाने के बाद दोबारा काउंटिंग में मोहित को विजेता घोषित किया गया. सुप्रीम कोर्ट ने जिला प्रशासन को निर्देश दिया है कि वे दो दिनों के भीतर मोहित को सरपंच पद की शपथ दिलाए.