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India Daily

कैदी की जमानत में बड़ा कन्फ्यूजन, सेम नाम के चक्कर में पुलिस ने कुकर्मी को कर दिया रिहा

फरीदाबाद की नीमका जेल में एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है, जहां एक ही नाम और पिता के नाम के चलते गलत कैदी को जमानत पर रिहा कर दिया गया.

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Edited By: Garima Singh
Haryana Jail Administration Negligence
Courtesy: x

Haryana Jail Administration Negligence: फरीदाबाद की नीमका जेल में एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है, जहां एक ही नाम और पिता के नाम के चलते गलत कैदी को जमानत पर रिहा कर दिया गया. इस चूक के कारण एक नौ साल के बच्चे के साथ कुकर्म के गंभीर अपराध में शामिल आरोपी नितेश पांडेय को रिहाई मिल गई, जबकि जमानत मार-पीट के एक अन्य आरोपी को दी जानी थी. यह घटना न केवल जेल प्रशासन की लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि न्याय व्यवस्था पर भी सवाल उठाती है. 

नीमका जेल में दो कैदियों, दोनों का नाम नितेश और पिता का नाम एक जैसा होने के कारण यह भूल हुई. पहला नितेश पांडेय, जिसे 2021 में नौ साल के बच्चे के साथ कई बार कुकर्म करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. उस समय उसकी उम्र 27 साल थी. दूसरा नितेश, जिसे हाल ही में रविवार को घर में घुसकर मार-पीट करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, उसे फरीदाबाद की अदालत ने जमानत दी थी. लेकिन मंगलवार को जेल प्रशासन ने गलती से कुकर्म के आरोपी नितेश पांडेय को रिहा कर दिया. 

जेल प्रशासन की लापरवाही या पहचान छिपाने का खेल?

जेल प्रशासन का दावा है कि नितेश पांडेय ने अपनी पहचान छिपाकर रिहाई हासिल की. जेल के उपाधीक्षक विक्रम सिंह ने कहा, "हमने सदर पुलिस थाने में नितेश पांडेय के खिलाफ पहचान छिपाकर रिहा होने के आरोप में शिकायत दर्ज की है.' इस गलती के कारण जिस नितेश को जमानत पर रिहा होना था, वह जेल में ही रहा, जबकि गंभीर अपराध का आरोपी आजाद हो गया. 

पुलिस की कार्रवाई 

सदर पुलिस थाने के प्रभारी उमेश कुमार ने भरोसा दिलाया है कि कुकर्म के आरोपी नितेश पांडेय की तलाश तेज कर दी गई है और उसे जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा. उन्होंने कहा, "हम इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं और आरोपी को पकड़ने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं.' इस बीच, मार-पीट के आरोपी नितेश को जमानत देने का आदेश फरीदाबाद अदालत के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने दिया था. 

जेल प्रशासन पर उठते सवाल

यह घटना नीमका जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाती है. एक ही जेल में दो कैदियों के नाम और पिता के नाम एक जैसे होने के बावजूद कोई विशेष पहचान प्रक्रिया क्यों नहीं अपनाई गई? क्या यह केवल लापरवाही थी या जानबूझकर की गई चूक? इस मामले ने स्थानीय लोगों में आक्रोश पैदा कर दिया है, जो इस तरह की गलतियों के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.