India-Pakistan Conflict: दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) के राजनीति विज्ञान विभाग ने अपने स्नातकोत्तर (PG) पाठ्यक्रम से कुछ ऐसे टॉपिक्स को हटा दिया है, जिन पर लंबे समय से रिसर्च होती आ रही थी. इनमें ‘पाकिस्तान और विश्व’, ‘चीन की समकालीन भूमिका’, ‘इस्लाम और अंतरराष्ट्रीय संबंध’, और ‘राजनीतिक हिंसा’ जैसे विषय शामिल हैं. विश्वविद्यालय की शीर्ष शैक्षणिक संस्था ने शनिवार को इस बदलाव को मंजूरी दे दी है.
यह फैसला पहली बार जून में प्रस्तावित किया गया था, और तब से ही इसे लेकर छात्रों और शिक्षकों में बहस जारी थी. अब जब ये बदलाव आधिकारिक हो गए हैं, तो सवाल उठ रहा है-क्या यह अकादमिक आज़ादी में दखल है या पाठ्यक्रम का तार्किक परिष्करण?
छात्रों और कई शिक्षकों का मानना है कि हटाए गए विषयों में आज के वैश्विक परिप्रेक्ष्य से जुड़े मुद्दे थे, जिन पर रिसर्च बहुत ज़रूरी है. ‘धार्मिक राष्ट्रवाद’, ‘राज्य और समाज’ जैसे अध्याय भारत समेत पूरी दुनिया की राजनीति को समझने में मदद करते हैं. लेकिन विश्वविद्यालय का कहना है कि नया पाठ्यक्रम "सिख शहादत और सामाजिक-धार्मिक इतिहास" जैसे उपेक्षित क्षेत्रों को शामिल करने की दिशा में कदम है.
चौथे वर्ष के छात्रों के लिए रिसर्च, प्रोजेक्ट और स्टार्टअप आधारित कामों की निगरानी के लिए भी नियम बनाए गए हैं. हर छात्र को एक गाइड (शोध सलाहकार) मिलेगा, जो अधिकतम 10 छात्रों की देखरेख कर सकेगा. हालांकि, कुछ शिक्षकों ने इसका विरोध करते हुए कहा है कि 10 छात्रों का लोड बहुत ज़्यादा है और एक शिक्षक को सिर्फ 3-4 छात्रों तक सीमित रखना चाहिए.
DU अब SWAYAM प्लेटफॉर्म के ज़रिए ऑनलाइन कोर्स से जुड़ने की छूट भी देने वाला है. इसके तहत छात्र कुल क्रेडिट का 5% तक ऑनलाइन माध्यम से हासिल कर सकेंगे. हालांकि, इस प्रस्ताव का भी कुछ AC (अकादमिक काउंसिल) सदस्यों ने विरोध किया है. उनका कहना है कि इससे विश्वविद्यालय की शैक्षणिक गुणवत्ता पर असर पड़ सकता है.
दिल्ली यूनिवर्सिटी अब रेडियो जॉकी (RJ) जैसे स्किल बेस्ड कोर्स भी शुरू करने जा रहा है, जिसमें छात्रों को आवाज़ की ट्रेनिंग, स्टूडियो हैंडलिंग और लाइव शो होस्ट करने जैसी चीज़ें सिखाई जाएंगी. इससे छात्रों को रोजगार के लिए बेहतर अवसर मिल सकते हैं.
कुछ शिक्षकों ने विश्वविद्यालय के इन फैसलों पर नाराज़गी जताई है. AC सदस्य माया जॉन ने साफ कहा कि SWAYAM जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स से क्रेडिट देना पारंपरिक शिक्षा की गंभीरता को नुकसान पहुंचा सकता है. अब इस पूरे मामले की जांच के लिए एक समिति बना दी गई है.
दिल्ली यूनिवर्सिटी का ये बदलाव कई मायनों में बड़ा है. जहां एक तरफ आधुनिक और स्किल-आधारित शिक्षा पर ज़ोर दिया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर महत्वपूर्ण रिसर्च टॉपिक्स को हटाए जाने से विवाद खड़ा हो गया है. क्या यह बदलाव छात्रों के भविष्य के लिए फायदेमंद होगा या शिक्षण की स्वतंत्रता पर असर डालेगा? जवाब शायद आने वाले समय में सामने आएगा.