menu-icon
India Daily

Delhi Air Quality: 'ग्रीन पटाखे नाकाम', दिवाली के बाद दिल्ली की हवा 5 सालों में सबसे खराब, वजह पराली नहीं

Delhi Air Quality: दिवाली 2025 के बाद दिल्ली में वायु गुणवत्ता पिछले पांच वर्षों में सबसे खराब स्तर पर पहुंच गई. PM2.5 का औसत 488 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रिकॉर्ड किया गया, जो WHO की सुरक्षित सीमा से लगभग 100 गुना अधिक है.

auth-image
Edited By: Reepu Kumari
Delhi Air Quality
Courtesy: Pinterest

Delhi Air Quality: दिवाली 2025 के बाद दिल्लीवासियों के लिए वायु प्रदूषण एक गंभीर स्वास्थ्य संकट बन गया है. कर्नाटक और पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने में गिरावट के बावजूद, राष्ट्रीय राजधानी में PM2.5 का औसत 488 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया. यह स्तर पिछले पांच वर्षों में सबसे खराब है और WHO द्वारा सुझाई गई सीमा से लगभग 100 गुना अधिक है.

दिवाली की रात रिकॉर्ड PM2.5 रीडिंग 675 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंची, जिससे बच्चों, बुज़ुर्गों और फेफड़े या हृदय रोग से पीड़ित लोगों के लिए हवा लगभग असुरक्षित हो गई.

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने 'ग्रीन पटाखों' को अनुमति दी थी, पराली जलाने में कमी और हरित पटाखों के प्रयोग के बावजूद शहर में प्रदूषण नियंत्रण विफल रहा. विशेषज्ञों का मानना है कि प्रदूषण का मुख्य स्रोत स्थानीय है. दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. एसके ढाका ने बताया कि शहर में उत्सर्जन - यातायात, उद्योग और धूल - लगातार स्तर बनाए रखते हैं. प्रतिकूल मौसम और कम हवा की गति ने जहरीले धुएँ को जमीन के करीब रख दिया, जिससे दिवाली के बाद हवा और भी जहरीली हो गई.

दिवाली के बाद रिकॉर्ड PM2.5 स्तर

दिवाली के बाद शहर का औसत PM2.5 स्तर 488 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुँच गया, जबकि दिवाली से पहले यह सिर्फ 156.6 था. यह तीन गुना वृद्धि प्रदूषण के गंभीर बढ़ाव को दर्शाती है. दिवाली की रात, विशेष रूप से सोमवार, 675 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की रिकॉर्ड रीडिंग दर्ज की गई.

हरित पटाखों का असर नाकाफी

सुप्रीम कोर्ट और सरकार ने हरित पटाखों के उपयोग को बढ़ावा दिया, लेकिन जमीनी आंकड़े बताते हैं कि ये पटाखे भी जहरीली धुंध को नियंत्रित करने में असफल रहे. स्थानीय उत्सर्जन ने दिवाली के उत्सव के दौरान PM2.5 स्तर को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया.

पराली जलाने का मिथक ध्वस्त

पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने में 77.5% कमी के बावजूद, दिल्ली में PM2.5 स्तर 50 ग्राम प्रति घन मीटर से ऊपर बना रहा. यह स्पष्ट करता है कि प्रदूषण का मुख्य स्रोत स्थानीय है, न कि सिर्फ़ बाहरी.

स्वास्थ्य संकट और चेतावनी

वायु प्रदूषण बच्चों, बुज़ुर्गों और बीमार व्यक्तियों के लिए गंभीर खतरा है. विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए पटाखों और स्थानीय उत्सर्जन दोनों पर तत्काल नियंत्रण की जरूरत है. प्रतिकूल मौसम ने स्थिति और गंभीर बना दी है, जिससे अगले वर्षों में भी सतत सुधार की आवश्यकता है.