नई दिल्ली: दिल्ली बम धमाके की जांच आगे बढ़ने के साथ आतंकी मॉड्यूल के अंदरूनी विवादों की नई परतें खुल रही हैं. जांच एजेंसियों के अनुसार, मुख्य आरोपी और सुसाइड बॉम्बर उमर-उन-नबी अपनी अलग कट्टरपंथी सोच के चलते अपने ही साथियों से दूरी बना रहा था.
आतंकियों के बीच विचारधारा से लेकर फंडिंग और हमले की रणनीति तक कई मुद्दों पर असहमति थी. रिपोर्ट्स के अनुसार, उमर ISIS की कट्टर विचारधारा से प्रभावित था जबकि उसके बाकी साथी अल-कायदा समर्थित समूहों की ओर झुकाव रखते थे, जिससे भीतर गहरी खाई बन गई थी.
जांच में सामने आया कि उमर-उन-नबी हरियाणा की अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़ा एक कश्मीरी डॉक्टर था जो इस्लामिक स्टेट (ISIS) की हिंसक विचारधारा को मानता था. इसके विपरीत, मॉड्यूल के अन्य सदस्य अल-कायदा समर्थित संगठनों जैसे ‘अंसार गजवत-उल-हिंद’ से प्रभावित थे.
हालांकि दोनों ही सलाफिज्म और हिंसक जिहाद के रास्ते से जुड़े हैं, लेकिन दुनिया को देखने का नजरिया अलग है. एक समूह वैश्विक खिलाफत को प्राथमिकता देता है जबकि दूसरा क्षेत्रीय लड़ाई को महत्व देता है. यही अंतर उनके बीच तनाव का कारण बना.
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो उमर का अपने साथियों से कई मुद्दों पर विवाद था, हमले की शैली, फंडिंग का उपयोग और संगठन के भीतर निर्णय लेने का तरीका. ये झगड़े इतने बढ़ गए कि उमर ने अपने साथी अदील अहमद राथर की शादी में शामिल होने से भी इनकार कर दिया था. उमर को गुट में 'सबसे ज्यादा कट्टर' माना जा रहा था और वह हमले को अधिक बड़े, नाटकीय और प्रभावशाली तरीके से अंजाम देना चाहता था. इसी वजह से वह कई बार गुट से अलग-थलग पड़ गया.
मतभेदों के बावजूद, खबरों के मुताबिक उमर अक्टूबर में काजीगुंड गया जहां उसने अपने साथियों से रिश्ते सुधारने की कोशिश की. इस मुलाकात में उन्होंने कई जगहों पर एक साथ धमाके करने की योजना पर बात की. जांचकर्ता मानते हैं कि उमर अपनी अत्यधिक कट्टर सोच के कारण मॉड्यूल को ज्यादा आक्रामक दिशा में ले जाना चाहता था. हालांकि अन्य सदस्य अल-कायदा समर्थित रणनीति को प्राथमिकता देते थे, जो अपेक्षाकृत क्षेत्रीय और अलग स्वरूप की थी.
फंडिंग को लेकर मतभेद ने मॉड्यूल में और दरार डाल दी. जांच के अनुसार, विस्फोटकों और लॉजिस्टिक्स के लिए करीब 26 लाख रुपये जुटाए गए थे. इसमें अदील ने 8 लाख, उसके भाई मुजफ्फर ने 6 लाख, शाहीन सईद और मुजम्मिल शकील ने 5-5 लाख और उमर ने 2 लाख का योगदान दिया. जब उमर से खर्चे का विस्तृत हिसाब मांगा गया, तो वह नाराज हो गया. पैसों के साथ-साथ हमले की शैली पर भी उसका रुख बेहद उग्र था, जिससे तनाव और बढ़ गया.
रिपोर्ट्स बताती हैं कि मॉड्यूल के भीतर सबसे बड़ा मतभेद इस बात पर था कि हमला कैसे किया जाए. उमर चाहता था कि हमला 'ज्यादा बड़ा और नाटकीय' हो, जबकि बाकी सदस्य अपेक्षाकृत कम ध्यान आकर्षित करने वाले हमले के पक्ष में थे. यही वैचारिक टकराव अंततः गुट के भीतर अविश्वास और विभाजन की वजह बन गया. जांच एजेंसियां अब इन मतभेदों को समझते हुए मॉड्यूल की संरचना और नेटवर्क को खंगाल रही हैं.