नई दिल्ली: दिल्ली ब्लास्ट मामले की जांच में एक बड़ा खुलासा हुआ है. जांच एजेंसियों ने पाया है कि यह साजिश 2023 में रची गई थी और इसका मकसद देश के कई शहरों में धमाके करना था. इस मॉड्यूल का मास्टरमाइंड माने जा रहे डॉ मुजम्मिल शकील ने पूछताछ में कबूला है कि वह करीब दो साल से धमाकों की तैयारी कर रहा था.
इस दौरान वह लगातार विस्फोटक सामग्री, रिमोट और अन्य सामान इकट्ठा कर रहा था. एजेंसियों के अनुसार यह पूरा मॉड्यूल जैश से जुड़ा हुआ था और इसमें कई शिक्षित लोग शामिल थे. जांच में सामने आया है कि मुजम्मिल को यूरिया और अमोनियम नाइट्रेट खरीदने की जिम्मेदारी दी गई थी. यह दोनों मिलकर एक खतरनाक विस्फोटक सामग्री बना सकते हैं जब इन्हें बाहरी तरीके से डिटोनेट किया जाए.
इसके लिए उसने गुरुग्राम और नूह से तीन लाख रुपये में 26 क्विंटल एनपीके खाद खरीदी थी. उसकी मदद करने वाला उमर इस खाद को प्रोसेस करके विस्फोटक के तौर पर तैयार करता था. जांच एजेंसियों ने वह आटा चक्की भी बरामद कर ली है जिसका इस्तेमाल यूरिया पीसने के लिए किया जाता था.
धमाके की पूरी साजिश खुद आरोपियों ने फंड की थी. इस मॉड्यूल ने कुल 26 लाख रुपये इकट्ठे किए थे जिनसे विस्फोटक सामान खरीदा गया. उमर ने खुद दो लाख रुपये दिए थे जबकि मुजम्मिल ने पांच लाख रुपये दिए. आदिल राथर और मुजफ्फर राथर ने आठ और छह लाख रुपये दिए थे. इसी मॉड्यूल में शामिल शहीन सईद ने भी पांच लाख रुपये जुटाए थे.
मुजम्मिल ने 6.5 लाख रुपये में AK-47 राइफल खरीदने की बात मानी है, जो बाद में आदिल राथर के लॉकर से मिली थी. उसने अपने हैंडलर के नाम भी कबूल किए हैं. उसका हैंडलर मंसूर था जबकि हाशिम उमर का हैंडलर था. सूत्रों ने बताया कि दोनों इब्राहिम नाम के एक आदमी के कहने पर काम कर रहे थे. ओकासा टेलीग्राम के जरिए मुजम्मिल से कॉन्टैक्ट करता था. जांचकर्ताओं का मानना है कि मुजम्मिल के उसके हैंडलर के बारे में पूछने के बाद उनकी बातचीत खत्म हो गई.