लाल किले की पार्किंग में उमर ने बनाया बम! दिल्ली आतंकी हमले की जांच में सनसनीखेज खुलासा

दिल्ली ब्लास्ट आरोपी डॉ उमर मोहम्मद ने रेड फोर्ट की पार्किंग में तीन घंटे तक कार में बैठकर बम असेंबल किया था. सोमवार को किला बंद होने के कारण पार्किंग खाली थी, इसलिए आरोपियों ने योजना बदलकर बाहर सड़क पर धमाका किया.

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Km Jaya

नई दिल्ली: दिल्ली में 10 नवंबर को हुए ब्लास्ट की जांच में एक बड़ा खुलासा सामने आया है. जांच से जुड़े सूत्रों के अनुसार, आरोपी डॉ उमर मोहम्मद ने रेड फोर्ट की पब्लिक पार्किंग में ही विस्फोटक डिवाइस को असेंबल किया था. यह पार्किंग देश के सबसे सुरक्षित माने जाने वाले क्षेत्रों में से एक है. आरोपी उमर कोइल गांव, पुलवामा का रहने वाला है और वह हरियाणा नंबर की हुंडई i20 कार चला रहा था.

यह कार रेड फोर्ट मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर 1 के पास अचानक धमाके के साथ फट गई, जिसमें 13 लोगों की मौत हुई और 20 से ज्यादा लोग घायल हुए. जांच एजेंसियों ने उमर की रेड फोर्ट पार्किंग में बिताई गई तीन संदिग्ध घंटों पर फोकस बढ़ा दिया है. रिकॉर्ड के अनुसार, कार दोपहर 3.19 बजे पार्किंग में दाखिल हुई और शाम 6.22 बजे बाहर निकली. इस दौरान उमर एक बार भी कार से बाहर नहीं निकला. 

फोरेंसिक जांच में क्या आया सामने?

एजेंसियों का संदेह है कि वह इसी दौरान बम असेंबल कर रहा था या हैंडलर्स के सम्पर्क में था. डिजिटल फोरेंसिक जांच में उमर के फोन पर उस दिन नेट एक्टिविटी में असामान्य उछाल पाया गया है, जिससे संकेत मिलता है कि वह अपने मॉड्यूल से लगातार संपर्क में था. सूत्रों के अनुसार, साजिशकर्ताओं की योजना यह थी कि बड़ी भीड़ के बीच धमाका किया जाए, लेकिन उन्हें अंदाजा नहीं था कि सोमवार के दिन रेड फोर्ट बंद रहता है.

क्यों किया प्लान चेंज?

पार्किंग लगभग खाली थी. इसलिए पार्किंग में धमाका करने की योजना छोड़ दी गई. पार्किंग से बाहर निकलने के बाद उमर नेताजी सुभाष मार्ग की ओर बढ़ा, जो रेड फोर्ट को चांदनी चौक से जोड़ता है. सड़क पर भीड़ बढ़ने के बीच उमर ने कार में लगाई गई विस्फोटक डिवाइस को सक्रिय किया, जिसके बाद तेज धमाका हुआ और कई लोगों की जान चली गई.

समय से पहले क्यों किया विस्फोट?

अब जांच एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि आखिर उमर इतने जोखिम के बावजूद घंटों तक अत्यधिक सुरक्षित क्षेत्र में क्यों बैठा रहा. क्या वह किसी स्लीपर सेल सदस्य का इंतजार कर रहा था, या उसे अतिरिक्त लॉजिस्टिक सपोर्ट का संदेश मिलने वाला था. एजेंसियां यह भी जांच रही हैं कि हाल ही में नेटवर्क से जुड़े कुछ आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद मॉड्यूल में घबराहट तो नहीं फैल गई थी, जिसके कारण यह हमला समय से पहले कर दिया गया.

क्या और भी स्लीपर सेल हैं सक्रिय?

दिल्ली पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियां अब पूरी घटना क्रम की जांच कर रही हैं, विस्फोटकों के स्रोत का पता लगा रही हैं और मॉड्यूल के अन्य सदस्यों की पहचान कर रही हैं. वे संचार के लिए इस्तेमाल किए गए टेलीग्राम ग्रुप की भी जांच कर रही हैं और यह भी पता लगा रही हैं कि क्या और भी सक्रिय स्लीपर सेल सक्रिय हैं.