Delhi air pollution: देश की राजधानी दिल्ली एक बार फिर घने धुंध की चपेट में है. वायु गुणवत्ता बेहद खराब स्तर पर पहुंच चुकी है. इसी बीच भारत के G20 समिट 2023 के शेरपा और नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने राजधानी की बिगड़ती हवा को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि दिल्ली की हवा “बदहाल” हो चुकी है और अब केवल “कठोर और निरंतर कार्रवाई” ही शहर को इस प्रदूषण संकट से बचा सकती है.
अमिताभ कांत ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “दिल्ली की वायु गुणवत्ता पूरी तरह चरमरा गई है. 38 में से 36 मॉनिटरिंग स्टेशन ‘रेड जोन’ में हैं. कई प्रमुख इलाकों में AQI 400 के पार पहुंच गया है. माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अपनी बुद्धिमत्ता में पटाखे फोड़ने के अधिकार को जीने और सांस लेने के अधिकार से ऊपर रखा है.”
उन्होंने आगे कहा, “दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानियों में बनी हुई है. अगर लॉस एंजेलिस, बीजिंग और लंदन जैसे शहर अपने प्रदूषण पर नियंत्रण पा सकते हैं, तो दिल्ली क्यों नहीं कर सकती? केवल कठोर और निरंतर कार्रवाई ही इस स्वास्थ्य और पर्यावरणीय आपदा से शहर को बचा सकती है.”
Delhi’s air quality lies in shambles: 36/38 monitoring stations have hit the 'red zone,' AQI is above 400 in key areas. The Hon. Supreme Court in its wisdom has prioritised the right to burn crackers over the right to live and breathe. Delhi remains among the world’s most…
— Amitabh Kant (@amitabhk87) October 21, 2025
कांत ने यह भी सुझाव दिया कि दिल्ली को बचाने के लिए एकीकृत कार्ययोजना जरूरी है. इसमें फसल और बायोमास जलाने पर रोक, पुराने थर्मल पावर प्लांट्स और ईंट भट्टों को बंद या आधुनिक तकनीक से लैस करना, 2030 तक पूरे परिवहन को इलेक्ट्रिक में बदलना, निर्माण स्थलों पर सख्त धूल नियंत्रण, कचरे का पूर्ण पृथक्करण और प्रसंस्करण, तथा शहर को हरित और पैदल चलने योग्य डिजाइन करने जैसे कदम शामिल हैं. उन्होंने कहा, “केवल इसी तरह की निर्णायक और लगातार कार्रवाई से दिल्ली को फिर से नीला आसमान और सांस लेने लायक हवा मिल सकती है.”
क्यों दिए अमिताभ कांत ने ये बयान?
दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र ने हाल ही में घने स्मॉग की परत में लिपटी सुबह देखी. लगातार पटाखे जलाने के कारण हवा की स्थिति और खराब हो गई. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 357 दर्ज किया गया, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है.
यह स्थिति उस समय बनी जब सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर लगे प्रतिबंध को हटाते हुए ‘ग्रीन पटाखों’ के सीमित उपयोग की अनुमति दी थी. अदालत ने कहा था कि वह “संतुलित दृष्टिकोण” अपना रही है ताकि दोनों पक्षों के हितों का ध्यान रखा जा सके. हालांकि, अदालत द्वारा तय किए गए समय सुबह 6 से 7 बजे और रात 8 से 10 बजे का पालन कई जगहों पर नहीं किया गया और देर रात तक पटाखे फूटते रहे.