नई दिल्ली: उत्तर दिल्ली में 20 वर्षीय दिल्ली यूनिवर्सिटी की छात्रा पर हुए एसिड अटैक केस ने सनसनी मचा दी है. शुरुआत में इस मामले में जितेंद्र नामक युवक और उसके दो साथियों पर हमला करने का आरोप लगा था, लेकिन अब जांच में कहानी पूरी तरह पलट गई है.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, पीड़िता के पिता ने ही इस वारदात की साजिश रची और अपनी बेटी से एसिड लाकर खुद यह हमला कराया ताकि जितेंद्र को झूठे केस में फंसाया जा सके.
दिल्ली पुलिस के अनुसार, 26 अक्टूबर की सुबह करीब 10 बजे लक्ष्मीबाई कॉलेज के पास एक युवती पर एसिड फेंके जाने की सूचना मिली थी. पीड़िता ने बताया कि वह कॉलेज की अतिरिक्त कक्षा के लिए आई थी, तभी मोटरसाइकिल पर आए तीन लोगों ने उस पर हमला कर दिया. पुलिस ने शुरुआती जांच में जितेंद्र, ईशान और अरमान को आरोपी बताया था. युवती को दीपचंद बंधु अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उसके हाथों पर जलन के निशान पाए गए.
पुलिस सूत्रों के अनुसार, जांच के दौरान पीड़िता के पिता अकील ने चौंकाने वाला खुलासा किया. उन्होंने कबूल किया कि उन्होंने ही इस पूरी घटना की साजिश रची ताकि जितेंद्र को फंसाया जा सके. दरअसल, जितेंद्र की पत्नी अकील के खिलाफ रेप केस दर्ज कराने जा रही थी. इसी वजह से अकील ने अपनी बेटी की मदद से यह झूठा हमला करवाने का प्लान बनाया. बताया गया कि पीड़िता ने ही बाजार से टॉयलेट क्लीनिंग में इस्तेमाल होने वाला एसिड खरीदा था.
जांच में यह भी सामने आया कि पीड़िता और जितेंद्र पहले से एक-दूसरे को जानते थे. दोनों के बीच कुछ समय पहले किसी बात को लेकर झगड़ा हुआ था. युवती ने अपने बयान में दावा किया था कि जितेंद्र उसे पीछा करता था और लगातार परेशान करता था. लेकिन अब पिता के कुबूल करने के बाद यह शक गहराया है कि क्या ये बयान पहले से बनाई गई कहानी का हिस्सा थे. पुलिस अब इन सभी तथ्यों की दोबारा जांच कर रही है.
पुलिस ने आरोपी जितेंद्र के कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR), सीसीटीवी फुटेज और लोकेशन डेटा की जांच की तो सामने आया कि घटना के वक्त वह करोल बाग इलाके में था. यह जानकारी सामने आने के बाद पुलिस ने गहराई से पूछताछ शुरू की. सीडीआर और कैमरा फुटेज में जितेंद्र की मौजूदगी के प्रमाण मिलने से पूरा मामला उलट गया. अब पुलिस अकील और उसकी बेटी के खिलाफ नई एफआईआर दर्ज करने की तैयारी में है.
इस पूरे घटनाक्रम ने दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा पर एक बार फिर बहस छेड़ दी है. एनएसयूआई ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि चाहे मामला झूठा हो या सच्चा, इस तरह की घटनाएं समाज में डर और अविश्वास का माहौल बनाती हैं. उन्होंने दिल्ली पुलिस से पारदर्शी जांच और सख्त कार्रवाई की मांग की है. उधर, स्थानीय लोगों का कहना है कि झूठे मामलों से असली पीड़ितों की आवाज कमजोर पड़ जाती है.