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India Daily

उमर खालिद की जमानत को लेकर दिल्ली पुलिस को 'सुप्रीम' फटकार, 31 अक्टूबर को होगी सुनवाई

दिल्ली दंगों से जुड़े UAPA केस में उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा और मीरन हैदर की जमानत याचिकाओं पर अगली सुनवाई 31 अक्टूबर होगी.

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Edited By: Kuldeep Sharma
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Courtesy: social media

नई दिल्ली: दिल्ली दंगों से जुड़े UAPA केस में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कार्यकर्ताओं उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा और मीरन हैदर की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई 31 अक्टूबर तक के लिए टाल दी है. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को जवाब दाखिल करने के लिए कुछ और समय दिया है. लेकिन इस दौरान सख्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि जमानत के मामलों में देरी नहीं की जानी चाहिए.

दिल्ली पुलिस को सुप्रीम कोर्ट की फटकार

जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एन.वी. अंजारिया की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि 'जमानत याचिकाओं में जवाब दाखिल करने का कोई औचित्य नहीं है.' अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में शीघ्र फैसला आना जरूरी है ताकि न्याय की प्रक्रिया में देरी न हो. पुलिस की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने दो हफ्ते का समय मांगा, जिसके बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई शुक्रवार को तय कर दी है.

हाईकोर्ट ने पहले खारिज की थीं जमानत याचिकाएं

इससे पहले, 2 सितंबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने 9 आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी थीं. इनमें उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा, मीरन हैदर, मोहम्मद सलीम खान, शिफा-उर-रहमान, अथर खान, अब्दुल खालिद सैफी और शादाब अहमद शामिल थे. अदालत ने कहा था कि 'प्रदर्शन की आड़ में साजिश रचकर हिंसा करना किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है.' इसी दिन एक अन्य आरोपी तसलीम अहमद की याचिका भी खारिज की गई थी.

संविधान देता है विरोध का अधिकार

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि भारतीय संविधान नागरिकों को शांतिपूर्ण विरोध और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार देता है, लेकिन यह अधिकार असीमित नहीं है. अदालत ने कहा, 'अगर विरोध प्रदर्शन के नाम पर बिना सीमाओं के स्वतंत्रता दी जाए, तो यह देश की कानून-व्यवस्था के लिए खतरा बन सकता है.' यह टिप्पणी नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और एनआरसी विरोधी प्रदर्शनों के संदर्भ में दी गई थी.

UAPA और IPC के तहत गंभीर आरोप

दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य पर UAPA समेत भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं में आरोप लगाए हैं. पुलिस का कहना है कि फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों की साजिश इन्हीं लोगों ने रची थी. इन दंगों में 53 लोगों की मौत हुई थी और 700 से ज्यादा घायल हुए थे. हालांकि, आरोपी इन सभी आरोपों से इनकार करते हैं और 2020 से जेल में बंद हैं.

लंबे इंतजार के बाद न्याय की उम्मीद

निचली अदालत से जमानत अर्जी खारिज होने के बाद आरोपियों ने पहले हाईकोर्ट और अब सुप्रीम कोर्ट में राहत की गुहार लगाई है. उनका कहना है कि वे हिंसा नहीं, बल्कि शांतिपूर्ण विरोध का हिस्सा थे. दूसरी ओर, सामाजिक संगठनों का मानना है कि अदालतों को इस मामले में जल्द सुनवाई पूरी करनी चाहिए ताकि वर्षों से जेल में बंद लोगों को न्याय मिल सके.