menu-icon
India Daily

Artificial Rain Test In Delhi: दिल्ली वालों के लिए राहत की खबर! प्रदूषण से निपटने के लिए आर्टिफिशियल बारिश की तैयारी पूरी

दिल्ली सरकार पहली बार क्लाउड सीडिंग के जरिए आर्टिफिशियल बारिश कराने जा रही है, ताकि हवा में फैले प्रदूषण को कम किया जा सके. इस पायलट प्रोजेक्ट को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के साथ मिलकर पूरा किया जाएगा, जो वैज्ञानिक, तकनीकी और परिचालन संबंधी जिम्मेदारी संभालेगा.

auth-image
Edited By: Antima Pal
Artificial Rain Test In Delhi
Courtesy: social media

Artificial Rain Test In Delhi: दिल्ली हर साल सर्दियों में जहरीली हवा का सामना करती है, अब एक अनोखे प्रयोग के लिए तैयार है. दिल्ली सरकार पहली बार क्लाउड सीडिंग के जरिए आर्टिफिशियल बारिश कराने जा रही है, ताकि हवा में फैले प्रदूषण को कम किया जा सके. इस पायलट प्रोजेक्ट को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के साथ मिलकर पूरा किया जाएगा, जो वैज्ञानिक, तकनीकी और परिचालन संबंधी जिम्मेदारी संभालेगा. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने भी इस परियोजना को हरी झंडी दे दी है और दिल्ली-एनसीआर में इसकी संभावना को मंजूरी दी है.

दिल्ली वालों के लिए राहत की खबर! 

इस प्रोजेक्ट का नाम 'टेक्नोलॉजी डेमोन्स्ट्रेशन एंड इवैल्यूएशन ऑफ क्लाउड सीडिंग फॉर दिल्ली एनसीआर पॉल्यूशन मिटिगेशन' है. इसके तहत विशेष रूप से सुसज्जित सेसना विमानों का उपयोग होगा, जो सिल्वर आयोडाइड, आयोडाइज्ड नमक और रॉक सॉल्ट के मिश्रण को बादलों में छिड़केंगे. यह मिश्रण बादलों में नमी को बढ़ाकर बारिश कराने में मदद करेगा. पांच उड़ानें नियोजित हैं, जो उत्तर-पश्चिम और बाहरी दिल्ली के गैर-संवेदनशील क्षेत्रों में 100 वर्ग किलोमीटर के दायरे में 90 मिनट तक चलेंगी.

प्रदूषण से निपटने के लिए आर्टिफिशियल बारिश की तैयारी पूरी

आईआईटी कानपुर ने पहले सूखाग्रस्त क्षेत्रों में सात सफल क्लाउड सीडिंग प्रयोग किए हैं. अब यह तकनीक दिल्ली में प्रदूषण कम करने के लिए आजमाई जाएगी. पर्यावरण मंत्री मंजिंदर सिंह सिरसा ने कहा, 'हम केवल प्रदूषण से नहीं लड़ रहे, बल्कि स्वच्छ हवा के अधिकार के लिए एक नया रास्ता बना रहे हैं. यह वैज्ञानिक साहस और पर्यावरणीय न्याय का प्रतीक है.' आईएमडी बादलों की नमी, ऊंचाई और हवा की स्थिति पर रियल-टाइम डेटा देगा.

मौसम अनुकूल होते ही आईआईटी कानपुर करेगा ट्रायल शुरू

प्रोजेक्ट की लागत 3.21 करोड़ रुपये है, जिसे दिल्ली सरकार के पर्यावरण विभाग द्वारा वित्त पोषित किया जा रहा है. हवा में पीएम 2.5 और पीएम 10 के स्तर को मापने के लिए मॉनिटरिंग स्टेशन लगाए जाएंगे. विशेषज्ञों का कहना है कि यह अल्पकालिक राहत दे सकता है, लेकिन स्थायी समाधान के लिए वाहन उत्सर्जन और निर्माण धूल जैसे प्रदूषण स्रोतों पर ध्यान देना होगा. जैसे ही उपयुक्त बादल मिलेंगे, दिल्ली अपनी पहली आर्टिफिशियल बारिश का गवाह बनेगी. यह प्रयोग न केवल दिल्ली, बल्कि अन्य प्रदूषित शहरों के लिए भी एक मिसाल बन सकता है.