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India Daily

AAP ने पैरेंट्स के पक्ष में दिए बिल में संशोधन के प्रस्ताव, भाजपा तय करे, किसके साथ?- आतिशी

आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली में भाजपा सरकार के स्कूल फीस बिल को अभिभावकों के हितों के खिलाफ बताते हुए इसमें चार प्रमुख संशोधन की मांग की है. नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने कहा कि बिल को निजी स्कूलों के पक्ष में बनाया गया है, जिसके खिलाफ आप ने अभिभावकों के हक में संशोधन प्रस्ताव दिए हैं. इनमें स्कूलों का ऑडिट, कमेटी में अधिक अभिभावक शामिल करना, शिकायत के लिए कम अभिभावकों की जरूरत और कोर्ट में अपील का अधिकार शामिल है. आप ने बिल को सिलेक्ट कमेटी में भेजने की भी मांग की ताकि अभिभावकों की राय ली जा सके.

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Edited By: Kuldeep Sharma
Atishi Marlena
Courtesy: web

दिल्ली में निजी स्कूलों की फीस को नियंत्रित करने के लिए लाए गए भाजपा सरकार के स्कूल फीस बिल पर विवाद गहरा गया है. आम आदमी पार्टी (आप) ने इस बिल को अभिभावकों के खिलाफ और निजी स्कूल मालिकों के पक्ष में बताते हुए तीखा विरोध जताया है. 

नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने दिल्ली विधानसभा में बिल के खिलाफ चार अहम संशोधन प्रस्ताव रखे हैं, जिनमें स्कूलों का ऑडिट, फीस नियंत्रण कमेटी में अभिभावकों की अधिक भागीदारी, शिकायत के लिए आसान प्रक्रिया और कोर्ट में अपील का अधिकार शामिल हैं. आप ने बिल को सिलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग की है ताकि अभिभावकों की आवाज सुनी जा सके. आतिशी ने चेतावनी दी कि भाजपा विधायकों का वोट इस बात को स्पष्ट करेगा कि वे अभिभावकों के साथ हैं या निजी स्कूलों के. 

स्कूल फीस बिल पर आप का विरोध

आप ने भाजपा सरकार पर स्कूल फीस बिल को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं. आतिशी ने कहा कि अप्रैल में जब निजी स्कूल मनमाने ढंग से फीस बढ़ा रहे थे, अभिभावकों को परेशान किया जा रहा था और बच्चे स्कूलों से निकाले जा रहे थे, तब भाजपा सरकार ने बिल लाने का वादा किया था. लेकिन बिल को कैबिनेट में पास होने के बाद चार महीने तक लटकाया गया और अगस्त में ही विधानसभा में पेश किया गया. आतिशी ने आरोप लगाया कि यह देरी निजी स्कूलों को बढ़ी फीस वसूलने का मौका देने के लिए की गई. उन्होंने कहा कि बिल को तैयार करने से पहले अभिभावकों, शिक्षाविदों या अन्य हितधारकों से कोई राय नहीं ली गई, जिससे सरकार की नीयत पर सवाल उठते हैं.

अभिभावकों के हितों की अनदेखी

आप ने दावा किया कि यह बिल निजी स्कूल मालिकों को फायदा पहुंचाने के लिए बनाया गया है. आतिशी ने बताया कि विधानसभा में भाजपा विधायक राजकुमार भाटिया ने खुद स्वीकार किया कि बिल निजी स्कूलों को फीस बढ़ाने का मौका देगा. आप ने बिल को अभिभावकों के साथ साझा कर उनकी राय ली और इसके आधार पर संशोधन प्रस्ताव तैयार किए. आतिशी ने कहा कि बिल में अभिभावकों की शिकायत करने की शक्ति को कमजोर किया गया है और इसे निजी स्कूलों के मनमाने रवैये को कानूनी संरक्षण देने का जरिया बनाया गया है. उन्होंने जोर देकर कहा कि आप इन संशोधनों के जरिए बिल को अभिभावक हितैषी बनाना चाहती है.

प्रस्तावित संशोधनों का विवरण

आप ने बिल में चार प्रमुख संशोधन सुझाए हैं. पहला, बिल को सिलेक्ट कमेटी में भेजा जाए ताकि अभिभावकों और अन्य हितधारकों से राय ली जा सके. दूसरा, फीस नियंत्रण कमेटी में 5 की जगह 10 अभिभावकों को शामिल किया जाए, जिन्हें पर्ची के जरिए नहीं बल्कि जनरल बॉडी के चुनाव से चुना जाए. तीसरा, स्कूलों के खातों का ऑडिट अनिवार्य हो और ऑडिट रिपोर्ट अभिभावकों को दी जाए, जिन्हें 15 दिन में सुझाव देने का मौका मिले. चौथा, शिकायत के लिए 15 फीसद अभिभावकों की जरूरत को हटाकर केवल 15 अभिभावकों की शिकायत पर कार्रवाई का प्रावधान हो. इसके अलावा, कमेटी के फैसले के खिलाफ कोर्ट में अपील का अधिकार देने की मांग भी की गई है.

भाजपा की मंशा पर सवाल

आतिशी ने बिल के सेक्शन-5 पर तीखा हमला बोला, जिसमें 2025-26 के लिए स्कूलों द्वारा ली गई बढ़ी फीस को वैध माना गया है. उन्होंने कहा कि यह प्रावधान निजी स्कूलों की मनमानी को कानूनी जामा पहनाने जैसा है. आप ने मांग की है कि जब तक स्कूलों के खातों का ऑडिट नहीं हो जाता, तब तक 2024-25 की फीस से अधिक वसूली पर रोक लगे. आप विधायक कुलदीप कुमार ने कहा कि ऑडिट के बिना फीस का औचित्य तय करना असंभव है. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा निजी स्कूल मालिकों के साथ मिलकर सरकारी स्कूलों को कमजोर करने की साजिश रच रही है.

अभिभावकों के अधिकारों पर हमला

आप ने बिल के उन प्रावधानों की आलोचना की, जो अभिभावकों के अधिकारों को सीमित करते हैं. आतिशी ने बताया कि वर्तमान में कोई भी अभिभावक शिक्षा निदेशक के पास शिकायत कर सकता है, लेकिन नए बिल में 15 फीसद अभिभावकों के हस्ताक्षर अनिवार्य किए गए हैं. अगर स्कूल में 2,000 बच्चे हैं, तो 300 से अधिक हस्ताक्षर जुटाना लगभग असंभव है. इसके अलावा, बिल का सेक्शन-17 अभिभावकों से कोर्ट में अपील का अधिकार छीनता है, जिसे आप ने असंवैधानिक करार दिया. आप विधायक संजीव झा ने कहा कि यह प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 13 और केशवानंद भारती केस के खिलाफ है, जिसमें न्यायिक समीक्षा को मौलिक अधिकार माना गया है.

अभिभावकों से एकजुटता की अपील

आतिशी ने दिल्ली के अभिभावकों से अपील की कि वे विधानसभा में होने वाली वोटिंग को लाइव देखें ताकि यह स्पष्ट हो सके कि भाजपा विधायक अभिभावकों के साथ हैं या निजी स्कूल मालिकों के. संजीव झा ने कहा कि यह बिल शिक्षा माफियाओं को संरक्षण देता है और शिक्षा निदेशक को असीमित अधिकार देकर स्कूलों की मनमानी को बढ़ावा देता है. कुलदीप कुमार ने जोर दिया कि आप का विरोध अभिभावकों के हितों की रक्षा के लिए है. आप ने चेतावनी दी कि अगर बिल में संशोधन नहीं हुए, तो यह निजी स्कूलों की लूट को वैध बनाएगा और अभिभावकों को और परेशान करेगा. आप ने विधानसभा में डिवीजन वोट की मांग की है ताकि जनता को सच्चाई का पता चल सके.