menu-icon
India Daily

Chhattisgarh Nuns Case: 'वे निर्दोष हैं... ', पीड़िता ने तोड़ी चुप्पी, ननों की गिरफ्तारी में नया मोड़, धर्मांतरण केस में बड़ा खुलासा

छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण और तस्करी के आरोपों में गिरफ्तार दो ननों के मामले में नया मोड़ आया है. आरोप लगाने वाली महिला ने कहा है कि पुलिस ने जबरदस्ती बयान दिलवाया और ननें निर्दोष हैं. महिला का दावा है कि वह अपनी इच्छा से यात्रा कर रही थी और किसी प्रकार का दबाव नहीं था.

auth-image
Edited By: Km Jaya
Chhattisgarh Nuns
Courtesy: Social Media

Chhattisgarh Nuns Case: छत्तीसगढ़ में दो ननों की गिरफ्तारी के मामले में बड़ा मोड़ सामने आया है. धर्मांतरण और मानव तस्करी के आरोपों में गिरफ्तार की गईं नन प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस को लेकर जिस महिला ने पहले बयान दिया था, उसने अब कहा है कि पुलिस ने जबरदस्ती बयान दिलवाया. नारायणपुर की इस महिला का कहना है कि वह अपनी मर्जी से ननों के साथ जा रही थी और उन्हें जबरन कुछ भी नहीं कराया गया.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस मामले में जीआरपी ने बजरंग दल के एक कार्यकर्ता की शिकायत पर दुर्ग रेलवे स्टेशन से ननों समेत सुखमन मंडावी को भी गिरफ्तार किया था. आरोप था कि तीनों ने नारायणपुर की महिलाओं का धर्मांतरण कर उन्हें मानव तस्करी के जरिए बाहर भेजने की कोशिश की.

महिला ने लगाया आरोप 

हालांकि अब पीड़िता ने मीडिया से बातचीत में बताया कि उन्हें ननों के खिलाफ बोलने के लिए डराया धमकाया गया. महिला का आरोप है कि हिंदू संगठन से जुड़ीं ज्योति शर्मा ने उस पर हमला किया और झूठा बयान देने को मजबूर किया. महिला ने कहा कि मैं अपनी मर्जी से गई थी मेरे माता-पिता ने अनुमति दी थी और ना मैं ननों को पहले जानती भी नहीं थी, गिरफ्तारी के दिन पहली बार मिली थी.

मरीजों की सेवा का काम 

महिला ने बताया कि उसे ननों के साथ खाना बनाने और मरीजों की सेवा का काम मिल रहा था, जिसमें उसे ₹10,000, भोजन, वस्त्र और निवास की सुविधा मिलनी थी. वह हर दिन ₹250 की दिहाड़ी मजदूरी करती है और 10वीं तक पढ़ी है.

कार्यकर्ताओं की जानकारी पर FIR दर्ज

महिला ने यह भी कहा कि GRP ने उसका बयान दर्ज नहीं किया, जबकि एफआईआर केवल बजरंग दल के कार्यकर्ताओं की जानकारी पर दर्ज की गई. महिला के अनुसार, गिरफ्तार मंडावी उनके लिए भाई के समान है और चर्च से जुड़ा हुआ है.

आरोपों को किया खारिज 

बजरंग दल के सदस्य ऋषि मिश्रा ने बताया कि एक रिक्शा चालक ने बातचीत सुनी थी जिससे उन्हें संदेह हुआ. इस पर उन्होंने शिकायत दर्ज कराई. वहीं, ज्योति शर्मा ने मारपीट के आरोपों को खारिज किया और कहा कि वह पुलिस स्टेशन में थी, जहां पुलिस की मौजूदगी में किसी को मारना संभव नहीं. इस प्रकरण ने ननों की गिरफ्तारी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. महिला की नई गवाही ने जांच की निष्पक्षता और पुलिस की भूमिका को कटघरे में खड़ा कर दिया है.