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सुकमा में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच जमकर मुठभेड़, 3 माओवादी ढेर; सर्च ऑपरेशन जारी

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में रविवार सुबह सुरक्षाबलों और माओवादी नक्सलियों के बीच भयंकर मुठभेड़ हुई. भेज्जी-चिंतागुफा के जंगल और पहाड़ी इलाके में हुई इस मुठभेड़ में तीन नक्सली मारे गए.

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Edited By: Princy Sharma
Sukma Encounter India Daily
Courtesy: Pinterest

सुकमा: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में रविवार की सुबह सुरक्षाबलों और माओवादी नक्सलियों के बीच जमकर मुठभेड़ हुई. जिले के भेज्जी-चिंतागुफा क्षेत्र के घने जंगलों और पहाड़ी इलाके में हुई इस मुठभेड़ में शुरुआती खबरों के अनुसार तीन नक्सली मारे गए हैं, जिनमें कुख्यात जनमिलिशिया कमांडर और स्नाइपर माड़वी देवा भी शामिल हैं. इसके अलावा मुठभेड़ स्थल से .303 राइफल, BGL लॉन्चर और भारी मात्रा में गोला-बारूद बरामद किया गया है. 

मृतकों में दो महिला माओवादी भी शामिल हैं, जिनकी पहचान पोड़ियम गंगी और सोड़ी गंगी के रूप में हुई है. इन दोनों पर 5-5 लाख रुपये का इनाम घोषित था. मुठभेड़ डीआरजी (District Reserve Guard) की टीम द्वारा नक्सल विरोधी अभियान के दौरान हुई. सुरक्षाबलों को तुमालपाड़ जंगल और आसपास के इलाके में माओवादी की मौजूदगी की विश्वसनीय सूचना मिली थी.

सर्च ऑपरेशन शुरू

जैसे ही जवानों ने सर्च ऑपरेशन शुरू किया, घात लगाए माओवादी ताबड़तोड़ फायरिंग करने लगे. जवानों ने भी तुरंत जवाबी कार्रवाई करते हुए काउंटर फायरिंग शुरू की. इसके बाद मुठभेड़ काफी तेज हो गई. सुकमा एसपी किरण चव्हाण ने बताया कि मुठभेड़ के दौरान इलाके को पूरी तरह घेरकर नक्सलियों के भागने के सभी रास्ते बंद कर दिए गए हैं. वहीं, बस्तर रेंज के आईजी सुन्दरराज ने कहा कि यह माओवादी संगठन पर बड़ा प्रहार है और बस्तर में माओवादी अब अपने अंतिम चरण में हैं. 

बीजापुर में भी 6 माओवादी हुए थे ढेर

उन्होंने बताया कि हिंसा का रास्ता छोड़कर अब नक्सलियों के पास सरकार की पुनर्वास नीति को अपनाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है. बस्तर में साल 2025 में अब तक सुरक्षा बलों और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में कुल 233 माओवादी मारे जा चुके हैं. इस महीने की दूसरी मुठभेड़ में 11 नवंबर को भी बीजापुर जिले में छह माओवादी ढेर हुए थे.

नक्सलियों का तेजी से सफाया

सुरक्षा बलों का दावा है कि लगातार हो रही कार्रवाई से बस्तर में माओवाद की पकड़ कमजोर हो रही है और संगठन का दहशत फैलाने का प्रभाव समाप्त हो रहा है. सुरक्षा बल मुठभेड़ जारी रखते हुए इलाके में गश्त बढ़ा रहे हैं और नक्सलियों के ठिकानों का तेजी से सफाया कर रहे हैं.