Bhupesh Baghel tweet: छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित शराब घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया है. इस कार्रवाई के बाद चैतन्य को रायपुर की एक अदालत में पेश किया गया. यह घटना उस समय हुई जब छत्तीसगढ़ विधानसभा का सत्र अपने अंतिम दिन पर था. ईडी की इस कार्रवाई ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है.
चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी की खबर जैसे ही विधानसभा में पहुंची, कांग्रेस के सभी विधायकों ने एकजुटता दिखाते हुए विरोध जताया. नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित कई कांग्रेस नेता रायपुर जिला कोर्ट पहुंचे. इस बीच, विपक्ष ने ईडी की कार्रवाई के खिलाफ विधानसभा सत्र से वॉकआउट कर अपना रोष प्रकट किया. यह कदम कांग्रेस की ओर से केंद्र सरकार पर राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप लगाने का संकेत माना जा रहा है.
भूपेश बघेल का भावुक ट्वीट
इस पूरे घटनाक्रम के बीच भूपेश बघेल ने एक ट्वीट के माध्यम से अपनी भावनाएं व्यक्त कीं. उन्होंने सरदार वल्लभभाई पटेल की एक प्रेरक घटना का जिक्र किया. अपने ट्वीट में बघेल ने लिखा, "आज विधानसभा में मेरे भाषण के पूर्व मेरे पास एक पर्ची आई. नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत जी मेरे बगल में बैठते हैं, उन्होंने पूछा कि क्या आया है तो मुझे उस समय सरदार पटेल से जुड़ी एक घटना याद आ गई."उन्होंने आगे लिखा, "किसी केस की सुनवाई के दौरान जब सरदार पटेल बतौर वकील जिरह कर रहे थे तब ऐसी ही एक पर्ची उनके पास आई, उन्होंने पर्ची पढ़कर चुपचाप जेब में रख ली. अपनी बहस पूरी की और केस जीता भी. कोर्ट के फैसले के बाद जब उस पर्ची के बारे में जज ने सरदार पटेल से पूछा तो उन्होंने बताया कि उस पर्ची में उनकी पत्नी के निधन का समाचार था, लेकिन फिर भी सरदार पटेल अपने कर्तव्यपथ से नहीं डिगे."
कर्तव्य और संकल्प की भावना
बघेल ने अपने ट्वीट में यह भी बताया कि उन्हें मिली पर्ची में उनके पुत्र चैतन्य की गिरफ्तारी की सूचना थी. उन्होंने सरदार पटेल के कर्तव्यनिष्ठा के उदाहरण को याद करते हुए कहा, "सरदार पटेल की उस घटना के सामने हम बेहद छोटे हैं लेकिन हम उन्हीं के वंशज हैं, हमें ना डरना है, ना झुकना है." यह बयान न केवल उनकी दृढ़ता को दर्शाता है, बल्कि उनके समर्थकों के बीच भी एकजुटता का संदेश देता है.
राजनीतिक माहौल में तनाव
चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी और भूपेश बघेल के बयान ने छत्तीसगढ़ के राजनीतिक परिदृश्य में नई बहस छेड़ दी है. कांग्रेस इसे राजनीतिक प्रतिशोध के रूप में देख रही है, जबकि सत्तारूढ़ दल इस कार्रवाई को कानून के दायरे में बताता है. आने वाले दिनों में इस मामले के और तूल पकड़ने की संभावना है.