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छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने की 41 जिलाध्यक्षों की लिस्ट जारी, 2028 के चुनाव से पहले बड़ा बदलाव

AICC ने छत्तीसगढ़ में बड़े ऑर्गेनाइजेशनल फेरबदल की घोषणा की है, जिसमें 28 नवंबर 2025 को देर रात 41 जिला प्रेसिडेंट की नई लिस्ट जारी की गई है.

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Edited By: Princy Sharma
Chhattisgarh India Daily
Courtesy: Pinterest

छत्तीसगढ़: ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (AICC) ने छत्तीसगढ़ में एक बड़े ऑर्गेनाइजेशनल फेरबदल की घोषणा की है, जिसमें 28 नवंबर 2025 को देर रात 41 जिला अध्यक्षों की एक नई लिस्ट जारी की गई है. पार्टी हाईकमान के इस लंबे समय से इंतजार किए जा रहे कदम को 2028 के राज्य विधानसभा चुनावों से पहले ऑर्गेनाइजेशन में नई एनर्जी डालने की एक स्ट्रेटेजिक कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है. 

हालांकि, कुछ पॉलिटिकल जानकार सवाल उठा रहे हैं कि क्या बदलावों की घोषणा में देरी से आने वाले चुनावों के लिए पार्टी की तैयारियों पर असर पड़ सकता है. नई लिस्ट में राज्य के लगभग सभी मुख्य जिले शामिल हैं, जिसमें रायपुर सिटी और बिलासपुर जैसे शहरी सेंटर, साथ ही सुकमा जैसे सेंसिटिव और नक्सल प्रभावित इलाके शामिल हैं. 

क्यों की जा रही फेरबदल?

यह फेरबदल कांग्रेस की जमीनी स्तर पर अपनी मौजूदगी को मजबूत करने और लोकल लेवल पर अपने ऑर्गेनाइजेशन को मजबूत करने की बड़ी स्ट्रेटेजी का हिस्सा है. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने माना कि इस प्रोसेस में उम्मीद से ज्यादा समय लगा, हालांकि उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अपॉइंटमेंट सोच-समझकर किए गए थे.

मुख्य नेताओं को बड़ी जिम्मेदारियां दी गईं

रायपुर शहर, जो एक मुख्य शहरी चुनाव क्षेत्र है, में श्री कुमार शंकर मेनन को जिला अध्यक्ष बनाया गया है, जबकि राजेंद्र 'पप्पू' बंजारे ने गांव-स्तर पर पहुंच पर ध्यान देने के लिए रायपुर ग्रामीण की जिम्मेदारी संभाली है. बिलासपुर में, सिद्धांशु मिश्रा शहर यूनिट को लीड करेंगे और महेंद्र गंगोत्री बिलासपुर ग्रामीण को हेड करेंगे. खास बात यह है कि अनुभवी नेता हरीश लखमा को नक्सल प्रभावित सुकमा जिले की जिम्मेदारी दी गई है, जिससे पार्टी का आदिवासी और संवेदनशील इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत करने का इरादा साफ़ दिखता है.

युवा और अनुभव के बीच बैलेंस

पार्टी लीडरशिप के मुताबिक, ये नियुक्तियां सिर्फ राजनीतिक वफादारी के आधार पर नहीं की गईं. AICC जनरल सेक्रेटरी ने बताया कि लिस्ट को फाइनल करने से पहले बूथ वर्कर्स, ब्लॉक-लेवल के नेताओं, पूर्व MLA और स्थानीय प्रतिनिधियों से कई लेवल का फीडबैक इकट्ठा किया गया था. इस फेरबदल में युवा नेताओं, अनुभवी नेताओं, आदिवासी प्रतिनिधियों और सामाजिक रूप से प्रभावशाली लोगों का मिक्स शामिल है, जिसका मकसद शहरी, ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में एक मजबूत संगठन बनाना है.

2028 के विधानसभा चुनावों पर फोकस

कांग्रेस लीडरशिप ने यह साफ कर दिया है कि यह 2028 के विधानसभा चुनावों के लिए उसके बड़े प्लान का पहला कदम है. सुकमा और बस्तर जैसे संवेदनशील जिलों पर खास ध्यान दिया गया है, जहां अनुभवी नेताओं से आदिवासी समुदायों के बीच पार्टी का बेस मजबूत करने की उम्मीद है.

आगे बढ़ते हुए, पार्टी बूथ कमेटियों और सेक्टर- और ब्लॉक-लेवल लीडरशिप को फिर से बनाने की योजना बना रही है, ताकि स्थानीय नेताओं, युवाओं और जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित हो सके. कांग्रेस पारंपरिक जमीनी स्तर की पहुंच के साथ-साथ सोशल मीडिया पर भी मजबूत विजिबिलिटी बनाए रखेगी.

कांग्रेस की तैयारी का जरूरी हिस्सा

इस ऑर्गनाइजेशनल बदलाव को कांग्रेस की तैयारी का एक जरूरी हिस्सा माना जा रहा है, न सिर्फ 2028 के असेंबली इलेक्शन के लिए, बल्कि आने वाले 2026-27 के लोकल बॉडी इलेक्शन के लिए भी, जो छत्तीसगढ़ में पार्टी की मौजूदगी को मजबूत करने के लिए एक शुरुआती और स्ट्रेटेजिक कोशिश का संकेत है.