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गणतंत्र दिवस 2026 में छत्तीसगढ़ की बोलेगी तूती, दिल्ली में कर्तव्य पथ पर गूंजेगी जनजातीय वीर नायकों की गाथा

गणतंत्र दिवस 2026 की परेड में कर्तव्य पथ पर छत्तीसगढ़ की झांकी चुनी गई है. झांकी में देश के पहले डिजिटल संग्रहालय की झलक होगी, जो जनजातीय वीर नायकों के बलिदान और संघर्ष को समर्पित है.

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Edited By: Reepu Kumari
गणतंत्र दिवस 2026 में छत्तीसगढ़ की बोलेगी तूती, दिल्ली में कर्तव्य पथ पर गूंजेगी जनजातीय वीर नायकों की गाथा
Courtesy: Pinterest

दिल्ली की सर्द सुबह में जब कर्तव्य पथ पर तैयारियां तेज़ हो रही हैं, तब छत्तीसगढ़ से आई खबर ने उत्साह बढ़ा दिया है. 2026 की गणतंत्र दिवस परेड में राज्य की झांकी को मंज़ूरी मिल चुकी है. इस बार झांकी का केंद्र जनजातीय वीर नायकों की वह अनकही ताकत होगी, जिसे अब डिजिटल तकनीक से सहेज कर रखा गया है. यह कदम इतिहास और आधुनिकता के मेल का नया अध्याय जोड़ रहा है.

छत्तीसगढ़ की यह प्रस्तुति सिर्फ कला नहीं, बल्कि बलिदान की जीवंत दस्तक है. वैसे ही यह झांकी संग्रहालय की सोच को नया आयाम दे रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही इसे नवा रायपुर में रजत जयंती पर जनता को समर्पित कर चुके हैं. अब पूरे देश को पहली बार परेड में इसकी झलक देखने का मौका मिलेगा.

चयन की राह और सराहना

रक्षा मंत्रालय की समिति के पास राज्यों से आए प्रस्तावों की लंबी सूची थी. चार महीने तक चली गहन समीक्षा के बाद 17 राज्यों को अंतिम रूप से चुना गया. छत्तीसगढ़ की झांकी ने विषय की मौलिकता और डिज़ाइन की सटीकता से अपनी जगह बनाई. समिति ने इसकी प्रस्तुति शैली को समय के अनुरूप बताया. यह चयन प्रक्रिया की कसौटी पर खरा उतरने का प्रमाण है.

वीर नायकों का डिजिटल सम्मान

झांकी में जिन जनजातीय नायकों को दिखाया जाएगा, वे जंगलों और पहाड़ों से निकलकर आज़ादी की लड़ाई में डटे रहे थे. इनके संघर्ष को एक डिजिटल संग्रहालय में संरक्षित किया गया है. यह संग्रहालय नई तकनीक से उनकी वीरता को इंटरैक्टिव रूप में पेश करता है. अब वही सम्मान राष्ट्रीय मंच पर परेड के माध्यम से दिखाई देगा. यह पहली बार होगा जब डिजिटल विरासत सड़क परेड में उतरेगी.

राज्य का गर्व और संदेश

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस चयन पर बधाई देते हुए कहा कि यह पूरे राज्य के लिए गर्व की बात है. झांकी आदिवासी समाज की देशभक्ति और सिद्धांतों के प्रति बलिदान को सामने लाएगी. यह प्रस्तुति दिखाएगी कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति सिर्फ लोकगीत और नृत्य तक सीमित नहीं, बल्कि वीरता और संकल्प से भी गहराई से जुड़ी है. यह संदेश 2026 की परेड में गूंजेगा.

नई पीढ़ी से जुड़ाव

डिजिटल संग्रहालय की झलक को झांकी में शामिल करने का उद्देश्य युवाओं से सीधा संवाद स्थापित करना है. इंटरैक्टिव डिस्प्ले और आधुनिक दृश्य शैली बच्चों और युवाओं को इतिहास के करीब लाएगी. यह झांकी किताबों के पन्नों से निकलकर चलती-फिरती कहानी बनेगी. इससे युवाओं में अपने जनजातीय नायकों के योगदान को लेकर नई जिज्ञासा और सम्मान पैदा होगा. यह जुड़ाव भविष्य के लिए अहम कदम है.

राष्ट्रीय मंच पर सांस्कृतिक दस्तक

छत्तीसगढ़ की झांकी केंद्र सरकार की थीम 'स्वतंत्रता का मंत्र, वंदे मातरम्' की भावना को अपने तरीके से प्रस्तुत करेगी. इसमें राज्य की सांस्कृतिक पहचान और ऐतिहासिक विरासत का संतुलित रूप दिखेगा. यह चयन छत्तीसगढ़ की कला, वीरता और आधुनिक संग्रहालय दृष्टि को एक साथ पेश करने का सशक्त माध्यम है. 2026 में यह झांकी कर्तव्य पथ पर सबसे अलग संदेश देगी.

गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि

यूरोपीय नेता उर्सुला वॉन डेर लेयेन और एंटोनियो कोस्टा 26 जनवरी, 2026 को गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि होंगे. इसी समय के आसपास होने वाले भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन में मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर पर विशेष ध्यान दिया जाएगा.