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'उसने मुझे जीना सिखाया', कैंसर सर्वाइवर बच्ची के हैंडमेड गिफ्ट से गदगद हुए डॉक्टर तन्मय, सुनाई मासूम की बहादुरी की कहानी

छत्तीसगढ़ के एक चाइल्ड डॉक्टर डॉ. तन्मय मोतीवाला, को उनकी एक मरीज खुशी, से एक ऐसा तोहफा मिला, जिसने उनकी आंखों में आंसू ला दिए. यह नन्ही बच्ची जो कभी कैंसर से जूझ रही थी अपने डॉक्टर के लिए हाथ से बना हुआ गिफ्ट्स से भरा सरप्राइज पैकेज भेजा.

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Edited By: Garima Singh
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Courtesy: x

Emotional story: छत्तीसगढ़ के एक चाइल्ड डॉक्टर डॉ. तन्मय मोतीवाला, को उनकी एक मरीज खुशी, से एक ऐसा तोहफा मिला, जिसने उनकी आंखों में आंसू ला दिए. यह नन्ही बच्ची जो कभी कैंसर से जूझ रही थी अपने डॉक्टर के लिए हाथ से बना हुआ गिफ्ट्स से भरा सरप्राइज पैकेज भेजा. डॉ. मोतीवाला ने एक्स पर इस भावुक पोस्ट को शेयर करते हुए बताया कि खुशी, जो उनकी शादी में शामिल नहीं हो पाई थी, उसने मुझे गिफ्ट का एक खास सेट भेजा.

उन्होंने लिखा, "मेरा दिल भर आया है. आज खुशी के आंसू निकले. मुझे ख़ुशी से एक पैकेज मिला. एक ऐसा सरप्राइज़ जिसने मुझे गहराई तक छू लिया. मैंने उसे अपनी शादी में बुलाया था, लेकिन वह नहीं आ सकी. उसकी जगह उसने मुझे खूबसूरत हाथ से बने उपहारों का एक सेट भेजा. हां, ख़ुशी मेरी मरीज़ है, लेकिन उससे भी बढ़कर, वह एक प्यारी दोस्त है. एक बहादुर कैंसर सर्वाइवर. एक बच्ची जिसने मुझे ज़िंदगी के बारे में इतना कुछ सिखाया है जितना कोई और नहीं सिखा सकता.

एक चुटकुले से बना खास रिश्ता 

"इस पैकेज में एक खास गिफ्ट पर खुशी ने उस मज़ाक को उकेरा था, जो डॉक्टर और मरीज़ के बीच का एक खास पल था. डॉ. मोतीवाला ने याद किया, "राउंड लेते हुए और उसे उसका नाम लिखना सिखाते हुए मैंने कहा 'D O N K E Y = P A R I’'. उसने जवाब दिया, 'D O N K E Y = TANMAY.' हम दोनों ज़ोर से हंस पड़े." यह मज़ेदार पल उस उपहार का हिस्सा बन गया, जिसने उनके रिश्ते की मिठास को दर्शाया.

खुशी का साहसी सफर

2022 में डॉ. मोतीवाला ने खुशी के इलाज की कहानी शेयर की थी. महज पांच साल की उम्र में खुशी को चेस्ट ट्यूमर का सामना करना पड़ा. उन्होंने बताया, "वह पांच साल की शांत और हिम्मती बच्ची थी. मैं वहां एक घंटे तक बैठा रहा, उससे बात करने, मज़ाक करने, अपने फ़ोन पर कार्टून दिखाने, उसे गुदगुदी करने की कोशिश करता रहा. कुछ भी काम नहीं आया. यह बच्ची ज़िद्दी थी."समय के साथ, कीमोथेरेपी और इलाज के दौरान उनका रिश्ता गहरा होता गया. डॉ. मोतीवाला ने लिखा, "उसकी कीमोथेरेपी शुरू हुई और हम बातें करने लगे. समय के साथ, जब मैं शाम को उसका इलाज करने जाता था, तो वह मेरी उंगली पकड़े रहती थी. जब मैं काम करता था, तो वह मेरे ईयरफोन लगाती और गाने सुनती थी."

जीवन का अनमोल सबक

खुशी ने न केवल कैंसर से जंग जीती, बल्कि डॉ. मोतीवाला को जीवन के गहरे सबक भी सिखाए. उन्होंने कहा, "उन्होंने मुझे जीवन में संघर्ष करने और अपनी मुस्कान को कभी कम न होने देने की कला सिखाई, चाहे कुछ भी हो जाए. उन्होंने मुझे यह भी सिखाया कि डॉक्टर-मरीज़ का रिश्ता जांच, सर्जरी और बिलों से कहीं आगे तक जाता है."

सोशल मीडिया पर उमड़ा प्यार 

डॉ. मोतीवाला की इस पोस्ट ने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया. एक यूज़र ने लिखा, "इस कहानी ने मेरा दिल पिघला दिया." दूसरे ने कहा, "आप जैसे डॉक्टर मानवता में विश्वास दिलाते हैं." एक अन्य ने कमेंट किया की, "ऐसी कहानियों को और ज़्यादा सुना जाना चाहिए." लोगों ने इसे "पवित्र", "भावुक" और "दया की सुंदरता की याद दिलाने वाला" बताया.