menu-icon
India Daily

बालोद बना भारत का पहला बाल विवाह मुक्त जिला, छत्तीसगढ़ सरकार का ऐलान

राज्य सरकार की विज्ञप्ति में कहा गया है कि बालोद जिले के सभी 436 ग्राम पंचायतों और नौ शहरी निकायों को बाल विवाह मुक्त स्थिति का औपचारिक प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है. महत्वपूर्ण बात यह है कि पिछले दो वर्षों में जिले में बाल विवाह का कोई मामला सामने नहीं आया है, जो घोषणा के लिए कानूनी और प्रशासनिक मानदंडों को पूरा करता है.

auth-image
Edited By: Gyanendra Sharma
child marriage-free district
Courtesy: Social Media

छत्तीसगढ़ सरकार ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि की घोषणा करते हुए दावा किया है कि बालोद देश का पहला ऐसा जिला बन गया है जिसे आधिकारिक तौर पर बाल विवाह मुक्त घोषित किया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'बाल विवाह मुक्त भारत' अभियान के तहत हासिल की गई इस उपलब्धि को कड़ी जांच प्रक्रिया के बाद आधिकारिक मान्यता दी गई.

राज्य सरकार की विज्ञप्ति में कहा गया है कि बालोद जिले के सभी 436 ग्राम पंचायतों और नौ शहरी निकायों को बाल विवाह मुक्त स्थिति का औपचारिक प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है. महत्वपूर्ण बात यह है कि पिछले दो वर्षों में जिले में बाल विवाह का कोई मामला सामने नहीं आया है, जो घोषणा के लिए कानूनी और प्रशासनिक मानदंडों को पूरा करता है.

सामूहिक प्रयास और राज्य की महत्वाकांक्षा

बालोद कलेक्टर दिव्या उमेश मिश्रा ने इस उपलब्धि का श्रेय सामूहिक प्रयास को दिया तथा जिला प्रशासन, जनप्रतिनिधियों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और व्यापक समुदाय की भागीदारी पर जोर दिया. मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस सामाजिक मुद्दे को राज्य की प्राथमिकता बताते हुए कहा कि सरकार का लक्ष्य 2028-29 तक पूरे राज्य को बाल विवाह मुक्त घोषित करना है.

मुख्यमंत्री ने कहा, "यह महज एक सरकारी अभियान नहीं है, बल्कि सामाजिक परिवर्तन के प्रति प्रतिबद्धता है." उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में और अधिक पंचायतों और शहरी निकायों के लिए प्रमाणन प्रक्रिया में तेजी लाई जा रही है.

महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने क्या कहा?

यह सफलता फैलती हुई प्रतीत होती है, क्योंकि विज्ञप्ति में यह भी बताया गया है कि पड़ोसी सूरजपुर जिले की 75 ग्राम पंचायतों को भी बाल विवाह मुक्त घोषित किया गया है, क्योंकि पिछले दो वर्षों से वहां ऐसी कोई घटना नहीं हुई है. महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने कहा कि बालोद की उपलब्धि यह साबित करती है कि बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराइयों को "समाज और सरकार मिलकर काम करें तो" खत्म किया जा सकता है. मंत्री ने तकनीकी सहायता, जागरूकता कार्यक्रमों और निगरानी तंत्रों के माध्यम से यूनिसेफ (संयुक्त राष्ट्र बाल कोष) के महत्वपूर्ण योगदान की भी सराहना की.