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चुनाव में हुई हार पर RJD की समीक्षा बैठक, तेजस्वी बने विपक्ष के नेता

बैठक में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, सांसद मीसा भारती के अलावा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह, बाहुबली नेता सूरजभान सिंह, भाई वीरेंद्र सहित कई विधायक और वरिष्ठ नेता मौजूद रहे.

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Edited By: Gyanendra Sharma
Tejashwi yadav
Courtesy: Photo-Social Media

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन को करारी शिकस्त मिलने के बाद राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने सोमवार को अपनी पहली महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक की. इस बैठक में पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में चुना गया. यह फैसला पार्टी के लिए एक राहत की सांस लेकर आया, क्योंकि महज दो सीटों की बढ़त ने ही उनकी यह कुर्सी बचा ली. 

बैठक में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, सांसद मीसा भारती के अलावा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह, बाहुबली नेता सूरजभान सिंह, भाई वीरेंद्र सहित कई विधायक और वरिष्ठ नेता मौजूद रहे. बैठक में शामिल राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जगदानंद प्रसाद सिंह ने बताया कि नेता प्रतिपक्ष के रूप में तेजस्वी प्रसाद का चयन किया गया. पार्टी सड़क से लेकर सदन तक गरीबों की आवाज उठाती रहेगी

चुनाव परिणामों ने महागठबंधन (आरजेडी-कांग्रेस-वाम दलों) को कुल 35 सीटों तक सीमित कर दिया, जबकि एनडीए ने 202 सीटों के साथ प्रचंड बहुमत हासिल किया. आरजेडी, जो गठबंधन की मुख्य पार्टी थी, ने 143 सीटों पर चुनाव लड़ा और 25 सीटें जीतीं. यह संख्या 2020 के 75 विधायकों से काफी कम है, लेकिन वोट शेयर के लिहाज से आरजेडी सबसे आगे रही लगभग 23 प्रतिशत. 

आरजेडी को 25 सीटें मिलीं

243 सदस्यीय विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल का दर्जा पाने के लिए किसी पार्टी को कम से कम 10 फीसदी यानी 24 विधायक होने चाहिए. आरजेडी को 25 सीटें मिलीं, जो इस मानदंड को पूरा करती हैं. अगर एक सीट और कम आती, तो न केवल मुख्य विपक्षी दल का दर्जा जाता, बल्कि तेजस्वी को नेता विपक्ष की कुर्सी भी हाथ से निकल जाती. विपक्ष के नेता को कैबिनेट मंत्री के समकक्ष दर्जा, वाहन, आवास और अन्य सुविधाएं मिलती हैं, जो विधानसभा में सरकार को कठघरे में खड़ा करने के लिए महत्वपूर्ण हैं.

हार पर क्या बोले नेता?

पूर्व प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने संगठनात्मक कमजोरियों पर जोर दिया, जबकि सूरजभान सिंह जैसे प्रभावशाली नेताओं ने ग्रामीण क्षेत्रों में प्रचार की कमी को जिम्मेदार ठहराया. बैठक में यह भी तय हुआ कि विपक्ष के नेता के रूप में तेजस्वी विधानसभा में नीतीश कुमार सरकार की योजनाओं पर सवाल उठाएंगे, खासकर जाति जनगणना और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर.