बिहार की सियासत में इन दिनों ‘जमाई पॉलिटिक्स’ का मुद्दा गरमाया हुआ है. नेता प्रतिपक्ष और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार द्वारा गठित विभिन्न आयोगों और बोर्डों में सत्ताधारी नेताओं के रिश्तेदारों, खासकर दामादों को प्रमुख पदों पर नियुक्त करने का आरोप लगाकर सियासी हलचल मचा दी है. इस विवाद के बीच जनता दल यूनाइटेड (JDU) के लिए मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं, क्योंकि पार्टी के भीतर ही असंतोष की चिंगारी भड़क उठी है.
गुरुवार को, JDU के पटना साहिब विधानसभा प्रभारी नवीश कुमार नवेंदु ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया जिसने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार के लिए नई चुनौती खड़ी कर दी है.
तेजस्वी का ‘जमाई आयोग’ तंज
तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार पर भाई-भतीजावाद और रिश्तेदारी को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए तंज कसा कि सरकार को ‘जमाई आयोग’, ‘जीजा आयोग’ और ‘मेहरारू आयोग’ बना देना चाहिए. उन्होंने कई उदाहरण गिनाए, जिनमें केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी के दामाद देवेंद्र मांझी को अनुसूचित जाति आयोग का उपाध्यक्ष, स्वर्गीय रामविलास पासवान के दामाद मृणाल पासवान को आयोग का अध्यक्ष, JDU नेता अशोक चौधरी के दामाद सायन कुणाल को धार्मिक न्यास बोर्ड का सदस्य, और मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह की पत्नी वैशाखी रश्मि रेखा सिंह को बिहार राज्य महिला आयोग का सदस्य बनाए जाने का जिक्र किया.
तेजस्वी ने JDU के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा पर भी निशाना साधा, जिनकी दोनों बेटियों, अद्या झा और सत्या झा, को सुप्रीम कोर्ट में ग्रुप-ए पैनल काउंसल के रूप में नियुक्त किया गया. उन्होंने दावा किया कि इन नियुक्तियों में अनुभव और योग्यता को ताक पर रखकर रिश्तेदारी को तरजीह दी गई, जो दलित, पिछड़े और अति-पिछड़े वर्गों के अधिकारों की अनदेखी है. तेजस्वी ने नीतीश कुमार को ‘अचेत अवस्था’ में बताते हुए कहा कि बिहार को ‘भूंजा पार्टी’ वाले और रिटायर्ड अधिकारी चला रहे हैं.