पार्टी प्रत्याशी का नामांकन रद्द होने पर RJD ने निर्दलीय को दिया समर्थन, मोहनिया सीट पर दिलचस्प हुआ मुकाबला

Mohania vidhan sabha seat: गौरतलब है कि महागठबंधन पहले ही आंतरिक मतभेदों से जूझ रहा है, और कई सीटों पर दोस्ताना मुकाबले की स्थिति बन चुकी है, जहां एक से अधिक सहयोगी दलों ने अपने-अपने उम्मीदवार उतारे हैं.

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Kanhaiya Kumar Jha

Mohania vidhan sabha seat: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले बुधवार को राजद को एक बड़े झटके का सामना करना पड़ा, जब उसकी अधिकृत उम्मीदवार श्वेता सुमन का नामांकन रद्द कर दिया गया. चुनाव आयोग के इस फैसले के कुछ घंटों बाद ही पार्टी ने मोहनिया सीट से निर्दलीय उम्मीदवार रवि पासवान को समर्थन देने की घोषणा कर दी. रवि पासवान, पूर्व सांसद और वरिष्ठ नेता छेदी पासवान के बेटे हैं.

नामांकन रद्द होने के बाद श्वेता सुमन ने भावुक होकर चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि उनका नामांकन राजनीतिक दबाव के तहत रद्द किया गया है. सुमन ने आरोप लगाया कि दिल्ली से रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ) और सर्किल ऑफिसर (सीओ) पर दबाव बनाया गया. यह सब भाजपा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के इशारे पर हुआ है. उन्होंने कहा कि वह इस फैसले को अदालत में चुनौती देंगी और इसे चुनाव से बाहर करने की साजिश बताया.

सुमन ने बीजेपी कैंडिडेट के नामांकन में गड़बड़ी के लगाए आरोप

सुमन ने भाजपा उम्मीदवार संगीता कुमारी के नामांकन में गड़बड़ी का आरोप भी लगाया. उन्होंने कहा कि संगीता ने 13 अक्टूबर को अधिसूचना की तारीख के बाद अपना जाति प्रमाण पत्र जमा किया था, लेकिन चूंकि वह भाजपा से हैं, इसलिए उनका नामांकन स्वीकार कर लिया गया.

आंतरिक मतभेदों से जूझ रहा है महागठबंधन

गौरतलब है कि महागठबंधन पहले ही आंतरिक मतभेदों से जूझ रहा है, और कई सीटों पर दोस्ताना मुकाबले की स्थिति बन चुकी है, जहां एक से अधिक सहयोगी दलों ने अपने-अपने उम्मीदवार उतारे हैं. महागठबंधन में अभी तक सीट बंटवारे पर आम सहमति नहीं बन पाई है.

चिराग ने महागठबंधन पर कसा तंज

इस बीच लोजपा नेता चिराग ने महागठबंधन पर तंज कसते हुए कहा कि मतदान शुरू होने से पहले ही गठबंधन टूट गया. जो दल अपने घर में अनुशासन नहीं रख सकते, वे बिहार के 14 करोड़ लोगों का शासन कैसे संभालेंगे?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राजद का निर्दलीय उम्मीदवार रवि पासवान को समर्थन देने का निर्णय पार्टी की रणनीतिक मजबूरी है, ताकि मोहनिया सीट पर भाजपा को वॉकओवर न मिले. अब देखना होगा कि यह समर्थन मैदान में राजद के लिए कितना कारगर साबित होता है.