मिथिलांचल के महासंग्राम में नीतीश-तेजस्वी या प्रशांत किशोर, जानें कौन मजबूत और किसका हो सकता है बेड़ा गर्क!
मिथिलांचल का चुनावी समीकरण इस बार बेहद पेचीदा है. एनडीए की परंपरागत पकड़, महागठबंधन की वापसी की कोशिश, जन सुराज का स्थानीय प्रभाव और एआईएमआईएम की मुस्लिम वोटों पर नजर. इन चारों के बीच मुकाबला त्रिकोणीय नहीं, बल्कि चतुर्भुज होने जा रहा है. मिथिला की धरती इस बार तय करेगी कि बिहार की सत्ता की दिशा किस ओर मुड़ती है.
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण के मतदान के लिए तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. 6 नवंबर को होने वाले मतदान से पहले चुनाव प्रचार का शोर आज शाम थम जाएगा. इसके साथ ही उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में बंद हो जाएगी. चुनाव आयोग और प्रशासन ने मतदान को लेकर व्यापक तैयारियां की हैं, वहीं राजनीतिक दलों ने भी मतदाताओं को साधने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.
इस बार चुनावी जंग में जिस क्षेत्र पर सबसे अधिक नजरें टिकी हैं, वह है मिथिलांचल, जो सात जिलों में फैले लगभग 40 विधानसभा क्षेत्रों वाला इलाका है. यहां पहले चरण में ही ज्यादातर सीटों पर मतदान होना है. यही वजह है कि न केवल एनडीए और महागठबंधन, बल्कि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम (AIMIM) और प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी भी इस क्षेत्र में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश में हैं.
मिथिलांचल का राजनीतिक महत्व
मिथिलांचल का हृदय स्थल मधुबनी जिला को माना जाता है, जो विश्वप्रसिद्ध मधुबनी कला का केंद्र है. 2020 के विधानसभा चुनाव में मधुबनी जिले ने एनडीए को भारी समर्थन दिया था. दस में से आठ सीटें एनडीए ने जीती थीं, जबकि महागठबंधन केवल दो सीटों तक सिमट गया था. भाजपा ने 5 और जदयू ने 3 सीटें जीती थीं, जबकि राजद को दो सीटें मिली थीं.
लेकिन 2025 का चुनाव परिदृश्य अलग है. इस बार प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी और ओवैसी की एआईएमआईएम के मैदान में उतरने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है.
AIMIM का नया दांव
ओवैसी की पार्टी ने इस बार मिथिलांचल में मुस्लिम वोटों को एकजुट करने की रणनीति अपनाई है. 2020 में सीमांचल क्षेत्र में 5 सीटें जीतकर एआईएमआईएम ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी. इस बार पार्टी मिथिलांचल की चार सीटों पर चुनाव लड़ेगी, खासकर दरभंगा और मधुबनी पर विशेष फोकस रहेगा.
2011 की जनगणना के मुताबिक, दरभंगा में मुस्लिम आबादी 22% और मधुबनी में 18.25% है. ओवैसी का मानना है कि यह क्षेत्र अब एआईएमआईएम के लिए राजनीतिक विस्तार का अगला केंद्र बन सकता है.
प्रमुख मुकाबले और उम्मीदवार
मधुबनी विधानसभा सीट, जहां 11 नवंबर को दूसरे चरण में मतदान होगा, पर मुकाबला बेहद रोचक है. राजद से समीर कुमार महासेठ (महागठबंधन) प्रत्याशी के रूप में जबकि एनडीए (RLNM) से माधव आनंद चुनावी मैदान में हैं. जन सुराज पार्टी से अनिल कुमार मिश्रा और एआईएमआईएम से राशिद खलील अंसारी भी मैदान में हैं. यहां चारों दलों की साख दांव पर है.
मधुबनी कला की आवाज पद्मश्री दुलारी देवी ने क्या कहा?
मिथिला कला की मशहूर चित्रकार पद्मश्री दुलारी देवी ने भी चुनावी माहौल में इस क्षेत्र की वास्तविक चिंताओं की ओर ध्यान दिलाया है. उन्होंने कहा कि सरकार ने मुझे सम्मान दिया, पर अब मेरी इच्छा है कि सरकार उन युवाओं को भी पहचान दे जो इस कला को सीख रहे हैं. उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए शिक्षा और रोजगार के अवसर बढ़ाए जाएं.
दुलारी देवी ने यह भी कहा कि मखाना उद्योग और मधुबनी पेंटिंग जैसे श्रमप्रधान शिल्पों को सरकारी सहयोग की जरूरत है ताकि स्थानीय लोगों को स्थायी रोजगार मिल सके.
मिथिलांचल की प्रमुख सीटें
मिथिलांचल में मधुबनी, दरभंगा, समस्तीपुर, सहरसा और सुपौल सहित कई जिले आते हैं. मुख्य जातीय समूहों में मैथिल ब्राह्मण, यादव, ईबीसी, दलित और मुस्लिम समुदाय शामिल हैं.
प्रमुख विधानसभा सीटें
मधुबनी जिला: हरलाखी, बेनीपट्टी, खजौली, बाबूबरही, बिस्फी, मधुबनी, राजनगर (SC), झंझारपुर, फुलपरास, लौकहा
दरभंगा जिला: कुशेश्वरस्थान (SC), गौरा बौराम, बेनीपुर, अलीनगर, दरभंगा ग्रामीण, दरभंगा, हायाघाट, बहादुरपुर, केवटी, जाले
सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर और चंपारण जिलों की कई सीटें भी इस क्षेत्र के प्रभाव में मानी जाती हैं.
पिछला चुनावी रुझान
2015 विधानसभा चुनाव: महागठबंधन ने बढ़त बनाई थी — जदयू ने 19, राजद ने 14 और कांग्रेस ने 11 सीटें जीतीं.
2020 विधानसभा चुनाव: एनडीए ने 26 सीटें जीतकर बढ़त हासिल की. राजद के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी और भावना झा जैसे बड़े नाम हार गए.
2024 लोकसभा चुनाव: भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए ने मिथिलांचल की सभी 7 लोकसभा सीटें जीत लीं.
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