Lok Sabha Election 2024 : लोकसभा चुनाव 2024 की तारीफ के ऐलान से पहले भारतीय राजनीति में परिवारवाद और मोदी का परिवार जैसे शब्द तेजी से ट्रेंड कर रहे हैं. 'मोदी का परिवार' शब्द को बीजेपी ने इस लोकसभा चुनाव में अपने लिए हथियार बना लिया है. साल 2019 के चुनाव में 'मैं भी चौकीदार' पीएम मोदी का नारा बन गया था, अब 2023 में 'मोदी का परिवार' बीजेपी के लिए चुनावी हथियार बन गया है.
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने पीएम मोदी को ऐसा मौका दिया कि उन्होंने देश के राजनीतिक माहौल को ही बदल दिया है. फिलहाल आज हम आपको बिहार की राजनीति में वंशवाद और परिवारवाद की दूसरी सीरीज 'Modi ka Parivar पर रार' में राम विलास पासवान परिवार के बारे में बताएंगे कि उनके परिवार में कितने लोग राजनीति में हैं और कब- किस पद पर रहे.
बिहार की राजनीति में पासवान परिवार के हावी होने की कहानी रामविलास पासवान से शुरू होती है. राम विलास पासवान ने 28 नवंबर 2000 को लोक जनशक्ति पार्टी की स्थापना की और इस पार्टी के जरिए पासवान परिवार के लोग राजनीति में प्रवेश करने लगे. आज इस दुनिया में रामविलास पासवान नहीं हैं लेकिन उन्होंने जो पार्टी बनाई और जिनको नेता बनाया वो लोग आज भी बिहार की राजनीति में सक्रिय हैं. राम विलास पासवान का जन्म 5 जुलाई 1946 को खगड़िया एक दलित परिवार में हुआ था. राजनीति में आने से पहले वो बिहार पुलिस में दारोगा थे. समाजवादी आंदोलन के प्रति दीवानगी इतनी थी कि उन्होंने नौकरी छोड़ दी और राजनीति में चले गए.
रामविलास पासवान के पिता जामुन पासवान की 3 संतानें थीं, जिसमें रामविलास पासवान सबसे बड़े थे. उसके बाद पशुपति नाथ पारस और रामचंद्र पासवान हैं. शहरबन्नी में गरीबी का आलम यह था कि पिता को अपने तीनों बेटों को पालने में दिक्कत होती थी. लेकिन समय बदला और रामविलास ने स्कूली पढ़ाई करने के बाद एमए और एलएलबी कर लिया.
रामविलास पासवान
रामविलास पासवान अपने राजनीतिक जीवन में 9 बार लोकसभा सांसद और 2 बार राज्यसभा सांसद रहे. हाजीपुर संसदीय सीट पासवान का पारंपरिक सीट मानी जाती है. पासवान की तीन बेटियों में कोई राजनीति में नहीं है.
चिराग पासवान
रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान सक्रिय राजनीति में हैं और लोजपा (R) के जमुई लोकसभा सीट से सांसद हैं.
रीना पासवान
राम विलास पासवान की पत्नी रीना पासवान अभी सक्रिय राजनीति में नहीं हैं, लेकिन चिराग पासवान अपनी मां रीना पासवान को हाजीपुर सीट से राजनीति में उतारने का प्रयास कर रहे हैं.
पशुपति पारस
पशुपति कुमार पारस हाजीपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद हैं और राम विलास पासवान के छोटे भाई हैं. वह एनडीए की हिस्सा हैं और भारत सरकार में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री के रूप में कार्यरत हैं. राम विलास पासवान इनको राजनीत में लेकर आए थे.
प्रिंस पासवान
प्रिंस राज पासवान तीरथ पासवान के पुत्र हैं और चिराग पासवान के चचेरे भाई हैं. प्रिंस राज पासवान बिहार के समस्तीपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद है. वो लोक जनशक्ति पार्टी के नेता हैं. फिलहाल पशुपति पारस और प्रिंक एक गुट में हैं.
रामविलास ने दो शादियां की थीं
रामविलास पासवान ने दो शादी की थीं. पहली शादी 1960 में राजकुमारी देवी से हुई. पहली शादी से दो बेटियां ऊषा और आशा हैं. लेकिन पहला रिश्ता सिर्फ 21 साल तक चला. आपसी मनमुटाव की वजह से 1981 में राजकुमारी देवी को तलाक दे दिया. 1983 में अमृतसर की एयरहोस्टेस रीना शर्मा से दूसरी शादी की. दूसरी शादी से एक बेटा और एक बेटी है. बेटा चिराग पासवान अभी जमुई से सांसद हैं. चिराग पासवान ने एमए एलएलबी की पढ़ाई की.
बिहार के रामविलास पासवान परिवार में भी फूट पड़ चुकी है. दोनों परिवार में रिश्ते पर राजनीति अब तक भारी है. राम विलास पासवान की मौत के बाद 2020 चुनाव के बाद रामविलास के छोटे भाई पशुपति पारस ने पार्टी पर कब्जा ठोक दिया. उस वक्त पार्टी के अध्यक्ष रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान थे. परिवार की इस लड़ाई में पशुपति को अपने भतीजे प्रिंस पासवान का भी साथ मिला. लड़ाई के वक्त पशुपति पारस ने अपनी भाभी से भी मिलने से इनकार कर दिया. पशुपति के दांव से चिराग पस्त हो गए. सांसदों का समर्थन देख एनडीए ने पशुपति को अपने साथ रखा और मोदी कैबिनेट में उसे मंत्री भी बनवाया. हालांकि, एक राजनीतिक घटनाक्रम में चिराग भी एनडीए का हिस्सा बन गए.
पशुपति और चिराग भले अभी एनडीए में हैं, लेकिन दोनों एक-दूसरे के खिलाफ लगातार हमलावर हैं. चिराग और पशुपति हाजीपुर सीट को लेकर लगातार बगावती मोड में हैं. चिराग चाचा के सीट पर अपनी मां रीना पासवान को उतारने की तैयारी में है. वहीं पशुपति भी चिराग के खिलाफ उनकी बड़ी मां को उतारने की बात कह चुके हैं. कुल मिलाकर देखा जाए, तो कुर्सी के लिए पासवान परिवार के रिश्ते पर भी सियासत भारी है.
बिहार से ताल्लुक रखने वाले रामविलास पासवान का 74 साल की उम्र में निधन हो चुका है. पासवान राजनीतिक माहौल भांपने में माहिर खिलाड़ी थीा और जिसकी सरकार केंद्र में बनती दिखती उसी पार्टी को साथ देकर मंत्री बन जाते थे. यही वजह थी कि उन्होंने 06 प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया. इसीलिए रामविलास पासवान को राजनीति का मौसम वैज्ञानिक कहा जाता था.