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Jokihat Assembly Election 2025: जोकीहाट बना पॉलिटिक्स का हॉटस्पॉट, एक सीट पर भिड़े तीन पूर्व मंत्री, दो सगे भाई आमने-सामने

Jokihat Assembly Election 2025: बिहार की अररिया जिले की जोकीहाट विधानसभा सीट इस बार का सबसे बड़ा सियासी रणक्षेत्र बन चुकी है. यहां तीन पूर्व मंत्री आमने-सामने हैं, जिनमें दो भाई और दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री तस्लीमुद्दीन के बेटे भी शामिल हैं. जन सुराज, राजद और जदयू के बीच यह मुकाबला बेहद दिलचस्प होने वाला है.

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Edited By: Babli Rautela
Jokihat Assembly Election 2025
Courtesy: Social Media

Jokihat Assembly Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव में अररिया जिले की जोकीहाट सीट पर इस बार का मुकाबला बेहद हाई-प्रोफाइल हो गया है. इस सीट पर तीन पूर्व मंत्री आमने-सामने हैं, जिससे राजनीतिक माहौल पूरी तरह गर्म हो गया है. दिलचस्प बात यह है कि इनमें दो उम्मीदवार दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय तस्लीमुद्दीन के बेटे हैं. जन सुराज से सरफराज आलम, राजद से शाहनवाज आलम और जदयू से मंजर आलम ने अपनी उम्मीदवारी दी है.

सरफराज आलम का लंबा राजनीतिक सफर

स्व. तस्लीमुद्दीन के बड़े बेटे सरफराज आलम ने 1996 में राजनीति में कदम रखा था. उन्होंने चार बार जोकीहाट विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया और एक बार अररिया से सांसद भी बने. 2018 के उपचुनाव में उन्होंने अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाते हुए लोकसभा सीट जीती. हालांकि 2019 के चुनाव में उन्हें भाजपा के प्रदीप कुमार सिंह से हार का सामना करना पड़ा.

सरफराज आलम ने अपने करियर में कई बार दल बदले. उन्होंने राजद से राजनीति शुरू की, बाद में जदयू में शामिल हुए और फिर गठबंधन टूटने के बाद दोबारा राजद का दामन थामा. 2020 में राजद प्रत्याशी के रूप में हार के बाद उन्होंने पार्टी छोड़ दी और प्रशांत किशोर के जन सुराज अभियान से जुड़ गए. इस बार वे जन सुराज के उम्मीदवार के रूप में मैदान में हैं. वे भवन निर्माण विभाग सहित कई अहम मंत्रालयों में मंत्री रह चुके हैं.

मंजर आलम का जदयू से पुराना नाता

मंजर आलम लंबे समय से जदयू के साथ जुड़े रहे हैं. 2000 के चुनाव में वे हार गए थे लेकिन 2005 में जीत दर्ज कर बिहार सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री बने. 2010 और 2015 में पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया, तब सरफराज आलम जदयू उम्मीदवार के रूप में विजयी रहे. 2020 में जोकीहाट सीट गठबंधन के तहत भाजपा के खाते में चली गई, जिससे मंजर आलम चुनाव से बाहर रह गए.

इस बार जदयू ने एक बार फिर उन पर भरोसा जताते हुए जोकीहाट से मैदान में उतारा है. बीस साल बाद वे फिर से अपनी सियासी जमीन पाने की कोशिश कर रहे हैं.

शाहनवाज आलम ने भाई को हराकर की एंट्री

जोकीहाट की राजनीति में शाहनवाज आलम की एंट्री 2020 के विधानसभा चुनाव में हुई. उस समय वे एआईएमआईएम उम्मीदवार के रूप में अपने ही भाई सरफराज आलम के खिलाफ मैदान में उतरे और जीत हासिल की. शाहनवाज को 59,596 वोट मिले, जबकि सरफराज को 52,213 वोट मिले. इस जीत ने उन्हें बिहार की सियासत में नई पहचान दी.

बाद में जब एआईएमआईएम के पांच विधायकों ने राजद ज्वाइन किया, तब शाहनवाज भी राजद में शामिल हो गए. महागठबंधन की सरकार बनने पर उन्हें आपदा प्रबंधन मंत्री बनाया गया. 2024 के लोकसभा चुनाव में राजद ने उन पर भरोसा जताया, लेकिन वे हार गए. अब 2025 के विधानसभा चुनाव में वे राजद के टिकट पर जोकीहाट से दोबारा मैदान में हैं.