Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले विपक्षी गठबंधन INDIA को तगड़ा झटका लगा है. आम आदमी पार्टी (AAP) ने साफ कर दिया है कि वह किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं होगी और बिहार में अपने दम पर चुनाव लड़ेगी. दिल्ली में मिली करारी हार के बाद अब AAP का ध्यान पंजाब और अन्य प्रमुख राज्यों पर केंद्रित है. पार्टी के शीर्ष नेता, जिनमें राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया शामिल हैं, आगामी चुनावों के लिए रणनीति तैयार करने में जुटे हैं.
आम आदमी पार्टी के मीडिया संयोजक अनुराग ढांडा ने मीडिया से बातचीत में कहा, "आप किसी गठबंधन में नहीं है. हमारी अपनी ताकत है और हम इसी पर आगे बढ़ रहे हैं.' उन्होंने INDIA गठबंधन के बारे में साफ़ करते हुए कहा, "वो लोकसभा चुनाव के लिए थी. हम अब किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं.'
आप की रणनीति संगठन को मजबूत करने पर जोर
आम आदमी पार्टी कई राज्यों में विधानसभा चुनावों के लिए संगठन को मजबूत करने पर काम कर रही है. सूत्रों के हवाले से पता चला है कि पार्टी ने राज्यों को दो श्रेणियों में बांटा है. 'A' श्रेणी में गुजरात, हिमाचल प्रदेश, असम, उत्तराखंड, पंजाब, दिल्ली और गोवा जैसे राज्य शामिल हैं, जहां बड़े स्तर पर मुकाबला है और अरविंद केजरीवाल स्वयं सक्रिय रहेंगे. वहीं, 'B' श्रेणी में वे राज्य हैं, जहां क्षेत्रीय नेतृत्व चुनाव की दिशा तय करेगा.
आप के बिहार प्रभारी अजेश यादव ने एक अखबार से बातचीत में कहा, "आप अपने दम पर बिहार में चुनाव लड़ेगी. हम बूथ स्तर पर पार्टी संगठन को मजबूत करने पर ध्यान दे रहे हैं. फिलहाल, हम प्रमुख क्षेत्रों में सात चरणों की यात्रा निकाल रहे हैं ताकि लोगों से जुड़ा जा सके. हम सीमांचल क्षेत्र के जरिए तीसरे चरण में प्रवेश कर चुके हैं.' उन्होंने यह भी साफ किया कि आप बिहार की सभी 243 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी.
2027 तक का रोडमैप तैयार
पार्टी ने अगले दो सालों के लिए अपनी कार्ययोजना तय कर ली है. असम में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए अरविंद केजरीवाल तेजी से रणनीति तैयार करेंगे. इसके अलावा, 2027 में उत्तराखंड, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, गोवा और गुजरात के विधानसभा चुनावों में आप मजबूती से उतरेगी.
दिल्ली के प्रदर्शन से लिया सबक
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में आप ने सभी 70 सीटों पर जोरदार दांव लगाया था, लेकिन उसे केवल 22 सीटें ही मिलीं। दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 48 सीटों पर जीत हासिल की. विशेष रूप से, कांग्रेस लगातार तीसरे साल दिल्ली में खाता खोलने में नाकाम रही. इस हार ने आप को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित किया है, और अब पार्टी बिहार सहित अन्य राज्यों में संगठन को और मजबूत करने पर ध्यान दे रही है.