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Bihar SIR: बॉर्डर से आए वोटर या घुसपैठिए? बिहार में फर्जी दस्तावेज वालों पर चुनाव आयोग का बड़ा एक्शन!

Bihar SIR: बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले निर्वाचन आयोग ने मतदाता सूची की विशेष गहन समीक्षा (SIR) के तहत बड़ी कार्रवाई शुरू की है. नेपाल और पश्चिम बंगाल बॉर्डर से सटे जिलों में बड़ी संख्या में फर्जी वोटरों की पहचान हुई है. गलत या अधूरे दस्तावेजों के चलते हजारों मतदाताओं को नोटिस भेजे गए हैं.

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Edited By: Babli Rautela
Bihar SIR
Courtesy: IDL

Bihar SIR: बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले भारत निर्वाचन आयोग ने मतदाता सूची की विशेष गहन समीक्षा (SIR) के तहत बड़ी कार्रवाई शुरू की है. नेपाल और पश्चिम बंगाल की सीमा से लगे जिलों में बड़ी संख्या में फर्जी वोटरों की पहचान हुई है. दस्तावेजों में गड़बड़ी मिलने पर कई मतदाताओं को नोटिस भेजे गए हैं. जिनके दस्तावेज संतोषजनक नहीं होंगे, उनका नाम न केवल मतदाता सूची से हटाया जाएगा, बल्कि उनकी नागरिकता भी खतरे में पड़ सकती है.

Special Intensive Revision (SIR) एक विशेष प्रक्रिया है, जिसके तहत मतदाता सूची की व्यापक जांच की जाती है. बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले यह प्रक्रिया शुरू की गई है. इस दौरान 65 लाख से अधिक नाम पहले ही मतदाता सूची से हटाए जा चुके हैं. आयोग का कहना है कि यह कार्रवाई चुनावी पारदर्शिता बनाए रखने और अवैध वोटिंग को रोकने के लिए जरूरी है.

किन जिलों में सबसे ज्यादा गड़बड़ियां?

नोटिस मुख्य रूप से उन मतदाताओं को भेजे जा रहे हैं, जिनके दस्तावेज या तो अधूरे हैं या गलत पाए गए हैं.
इन जिलों में सबसे अधिक मामले सामने आए हैं:

  1.  पूर्वी चंपारण
  2.  पश्चिमी चंपारण
  3.  मधुबनी
  4.  सुपौल
  5.  अररिया
  6.  किशनगंज
  7.  पूर्णिया
  8.  कटिहार

इनमें से कई जिले नेपाल और पश्चिम बंगाल की सीमाओं से लगे हुए हैं, जिससे इन क्षेत्रों में अवैध प्रवास की आशंका लंबे समय से जताई जा रही थी.

क्यों भेजे गए नोटिस ?

चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि नोटिस उन लोगों को जारी किए जा रहे हैं:

  • जिन्होंने फॉर्म तो भरा लेकिन कोई सहायक दस्तावेज जमा नहीं किया.
  • जिनके दस्तावेज झूठे या संदिग्ध पाए गए.
  • जिनकी पात्रता, विशेषकर नागरिकता, पर सवाल उठे हैं.

ऐसे मतदाताओं को सुनवाई के लिए बुलाया जा रहा है, जहां उन्हें वैध दस्तावेज पेश करने होंगे.

कब और कैसे होगी सुनवाई ?

राज्य के विभिन्न निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (ERO) दस्तावेजों की जांच कर रहे हैं.
सुनवाई की शुरुआत 3 सितंबर 2025 से की जाएगी.  रक्सौल (पूर्वी चंपारण) में पहली सुनवाई 3 सितंबर को होगी. मधुबनी विधानसभा क्षेत्र में 7 सितंबर को सुनवाई निर्धारित है. यदि दस्तावेज संतोषजनक नहीं होते, तो मतदाता सूची से नाम हटाने के साथ-साथ नागरिकता जांच की प्रक्रिया भी शुरू की जा सकती है.