Bihar SIR: बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग द्वारा विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के तहत मतदाता सूची से 35.5 लाख से अधिक नाम हटाए जा चुके हैं, और यह आंकड़ा 70 लाख (लगभग 9%) तक पहुंच सकता है. इस प्रक्रिया ने बिहार के सियासी हलकों में हड़कंप मचा दिया है. विपक्षी महागठबंधन इसे गरीब, दलित, और प्रवासी मजदूरों के मताधिकार पर हमला बता रहा है, जबकि एनडीए को इसका अपेक्षाकृत कम नुकसान होने की संभावना है. आइए, समझते हैं इस कटौती का सियासी गणित और इसका 243 विधानसभा सीटों पर प्रभाव.
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, बिहार के 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 4.52% यानी 35.5 लाख नाम हटाए गए हैं. इनमें 12.55 लाख मृत, 17.37 लाख स्थानांतरित, और 5.76 लाख दोहरे पंजीकरण वाले मतदाता शामिल हैं. एक चुनाव विश्लेषक ने कहा, 'यह प्रक्रिया मतदाता सूची को शुद्ध करने के लिए है, लेकिन इसका प्रभाव असमान हो सकता है,'. अगर यह आंकड़ा 70 लाख तक पहुंचता है, तो प्रति विधानसभा सीट औसतन 28,000 से अधिक मतदाता प्रभावित होंगे. यह 2020 के चुनाव में कई सीटों पर जीत-हार के अंतर से कहीं ज्यादा है, जो कुछ सीटों पर महज 1,000-2,000 वोटों का था.
RJD नेता तेजस्वी यादव ने चेतावनी दी है कि 'मात्र 1% वोटर हटने से प्रति सीट 3,200 मतदाता प्रभावित होंगे, जो 2020 में 35 सीटों के जीत-हार के अंतर से अधिक है. एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा, 'इन 35 सीटों में किशनगंज, अररिया, और पूर्णिया जैसी सीमांचल की सीटें शामिल हैं, जहां महागठबंधन का वोट बैंक (यादव, मुस्लिम, और दलित) मजबूत है. इन क्षेत्रों में दस्तावेजों की कमी और प्रवास की अधिकता के कारण वोटर लिस्ट से नाम हटने की संभावना ज्यादा है. उदाहरण के लिए, किशनगंज में 2020 में कांग्रेस ने मात्र 1,381 वोटों (0.77%) से जीत हासिल की थी. 'ऐसी सीटों पर 1% कटौती भी खेल बदल सकती है,' .
यदि कटौती 9% तक पहुंचती है, तो यह महागठबंधन के लिए बड़ा झटका हो सकता है. RJD, कांग्रेस, और AIMIM का वोट बैंक ग्रामीण, दलित, और मुस्लिम समुदायों पर निर्भर है, जो दस्तावेजीकरण में कमजोर हैं. बिहार के 2022 जाति सर्वेक्षण के अनुसार, अनुसूचित जाति (20%) और अति पिछड़ा वर्ग (36%) आर्थिक रूप से कमजोर हैं और उनके पास जन्म प्रमाणपत्र जैसे दस्तावेज कम हैं. सीमांचल और कोसी क्षेत्रों में आधार कार्ड की संख्या आबादी से अधिक पाई गई, जिसे फर्जी पंजीकरण का संकेत माना गया. AIMIM नेता अकबरुद्दीन ओवैसी ने कहा, 'यह प्रक्रिया हमारे वोटरों को निशाना बना रही है,'.