बिहार में शिक्षकों की छुट्टी पर नकेल, अब एक साथ लीव पर नहीं जा सकेंगे टीचर, जानें नीतीश सरकार ने क्यों लिया फैसला?

बिहार शिक्षा विभाग ने स्कूलों में शिक्षकों की मनमानी छुट्टियों पर सख्त नियम लागू कर दिए हैं. हालिया निरीक्षण में कई स्कूलों में एक साथ बड़ी संख्या में शिक्षक गैरहाजिर पाए गए थे

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Reepu Kumari

बिहार के सरकारी स्कूलों में लंबे समय से शिक्षकों की सामूहिक छुट्टियां एक बड़ी समस्या बनी हुई थीं. कई बार एक ही दिन में आधे से ज्यादा शिक्षक छुट्टी पर चले जाते थे, जिससे कक्षाएं प्रभावित होती थीं.

इसी स्थिति को सुधारने के लिए शिक्षा विभाग ने अब नई लीव पॉलिसी लागू की है. इसका मकसद स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति बढ़ाना और बच्चों की पढ़ाई को बिना रुकावट जारी रखना है.

छुट्टी की मनमानी पर क्यों पड़ा अंकुश

शिक्षा विभाग के निरीक्षण में यह साफ हुआ कि कई स्कूलों में शिक्षक बिना ठोस कारण एक साथ अवकाश ले रहे थे. इससे न केवल कक्षाएं रद्द हो रही थीं बल्कि सिलेबस भी तय समय पर पूरा नहीं हो पा रहा था. नई नीति इन्हीं खामियों को दूर करने के लिए लाई गई है ताकि पढ़ाई का माहौल बना रहे और स्कूल नियमित रूप से संचालित हों.

अब कितने शिक्षक ले सकेंगे छुट्टी

नए नियमों के अनुसार प्राथमिक स्कूल में एक दिन में केवल एक शिक्षक को छुट्टी दी जाएगी. वहीं मध्य और उच्च माध्यमिक स्कूलों में कुल शिक्षकों के सिर्फ 10 प्रतिशत को ही अवकाश मिलेगा. इससे ज्यादा छुट्टी देने के लिए नियंत्रक पदाधिकारी की अनुमति जरूरी होगी, जिससे स्कूल खाली होने की स्थिति नहीं बनेगी.

अचानक छुट्टी के लिए भी तय प्रक्रिया

अब सामान्य हालात में बिना पूर्व अनुमति छुट्टी नहीं मिलेगी. केवल आकस्मिक परिस्थिति में मोबाइल या व्हाट्सऐप से सूचना देकर अवकाश लिया जा सकेगा. इसके लिए भी आवेदन एक दिन पहले देना अनिवार्य होगा. विभाग ने साफ कर दिया है कि बिना सूचना गैरहाजिरी को अनुशासनहीनता माना जाएगा.

आकस्मिक अवकाश की सीमा तय

हर शिक्षक को साल में अधिकतम 16 दिन आकस्मिक अवकाश मिलेगा. बीच सत्र में नियुक्त शिक्षकों को प्रति माह 1.33 दिन के हिसाब से छुट्टी दी जाएगी. विशेष आकस्मिक छुट्टी महीने में सिर्फ दो लगातार दिनों के लिए और वह भी एक बार ही मिल सकेगी. त्योहारी या गर्मी की छुट्टियों के साथ सीएल जोड़ने पर रोक लगा दी गई है.

पढ़ाई और अनुशासन पर क्या असर होगा

नए नियमों से शिक्षकों की उपस्थिति बढ़ने की उम्मीद है. कक्षाएं नियमित चलेंगी और बच्चों की पढ़ाई बिना बाधा पूरी होगी. प्रधान शिक्षक को हर अवकाश का रिकॉर्ड रखना होगा और नियम तोड़ने पर विभागीय कार्रवाई होगी. शिक्षा विभाग का मानना है कि यह बदलाव स्कूल व्यवस्था को मजबूत बनाने में अहम साबित होगा.