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Bihar Elections 2025: क्या अब थमेगी लालू-नीतीश की राजनीति की गाड़ी? जानें दोनों नेताओं के राजनीतिक सफर का उतार चढ़ाव

बिहार चुनाव 2025 में लालू यादव और नीतीश कुमार की भूमिका को लेकर चर्चाएं तेज हैं. दोनों 70 वर्ष से अधिक उम्र के हैं और स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं. आरजेडी और जेडीयू दोनों ही उन्हीं पर निर्भर हैं. विशेषज्ञ मानते हैं कि यह उनका आखिरी चुनाव हो सकता है क्योंकि राजनीति अब युवाओं की ओर बढ़ रही है.

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Edited By: Km Jaya
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Courtesy: Social Media

Bihar Elections 2025: पिछले 35 वर्षों से बिहार की राजनीति लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार के ही आसपास घूमती रही है. दोनों नेता जेपी आंदोलन से निकले और छात्र राजनीति से सत्ता की मुख्य धारा तक पहुंचे. अब जब 2025 के विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है, सवाल यह उठ रहा है कि क्या यह चुनाव दोनों नेताओं की आखिरी सियासी पारी साबित होगा.

लालू यादव हाल ही में एक बार फिर आरजेडी की कमान संभाल चुके हैं. उनकी सक्रियता राहुल गांधी की रैली में भी दिखी, जहां वे अपने पुराने अंदाज में नजर आए. हालांकि उनकी उम्र 78 साल और बिगड़ती सेहत को देखते हुए राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा तेज है कि यह उनकी आखिरी पारी हो सकती है. दूसरी ओर, नीतीश कुमार एनडीए का चेहरा बने रहेंगे और जेडीयू की ओर से '25 से 30, फिर से नीतीश' का नारा दिया गया है. नीतीश 9 बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर पहले ही रिकॉर्ड बना चुके हैं और 74 वर्ष की उम्र में भी उन्हें चुनाव का बड़ा चेहरा माना जा रहा है.

दोनों नेताओं का राजनीतिक सफर

दोनों नेताओं का सफर लगभग साथ शुरू हुआ था. लालू यादव 1990 में मुख्यमंत्री बने और गरीबों-पिछड़ों को राजनीति की मुख्य धारा में जोड़ा. 1997 में चारा घोटाले के कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा और उसी साल उन्होंने आरजेडी का गठन किया. बाद में वे रेल मंत्री बने और गरीब रथ जैसी योजनाओं से लोकप्रियता पाई.

क्रांति आंदोलन से राजनीति की ओर

नीतीश कुमार भी संपूर्ण क्रांति आंदोलन से राजनीति में आए और कई बार सांसद व मंत्री बने. 2005 से अब तक वे कई बार बिहार के मुख्यमंत्री बन चुके हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दोनों नेताओं ने बेहतरीन काम किया लेकिन अब हालात बदल चुके हैं. राजनीति अब तेजी से युवाओं की ओर बढ़ रही है और नई पीढ़ी की मांग ज्यादा है.

इनका छात्र जीवन 

लालू यादव का जन्म 1948 में गोपालगंज जिले में हुआ था. छात्र जीवन में ही वे जेपी आंदोलन से जुड़े और 1977 में पहली बार सांसद बने. नीतीश कुमार का जन्म 1951 में स्वतंत्रता सेनानी परिवार में हुआ. उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद राजनीति में कदम रखा. जॉर्ज फर्नांडीस और नीतीश कुमार ने समता पार्टी बनाकर नया सफर शुरू किया. आज जब दोनों 70 के पार हैं, तब भी बिहार की सियासत उन्हीं पर टिकी है लेकिन अब सवाल यही है कि क्या यह चुनाव उनका अंतिम होगा या फिर वे एक बार और जनता का विश्वास जीतकर अपनी पारी आगे बढ़ाएंगे.