menu-icon
India Daily

Bihar Election: लालू, तेजस्वी और राबड़ी ने झोंक दी जान, लेकिन इस बार बिहार में वापसी नहीं होगी आसान, ये हैं 5 बड़ी वजहें

Bihar Election: राजद के लिए आगामी विधानसभा चुनाव बेहद अहम माने जा रहे हैं। पार्टी सत्ता में वापसी के लिए पूरी ताकत झोंक रही है, लेकिन ज़मीनी स्तर पर कुछ ऐसी चुनौतियां हैं जो उसके लिए चुनावी हार का कारण बन सकती हैं.

auth-image
Edited By: Kanhaiya Kumar Jha
Tejashwi Yadav & Lalu Yadav
Courtesy: X

Bihar Election: बिहार चुनाव को लेकर राजनीतिक बिसात बिछ चुकी है और अब सभी राजनीतिक पार्टियां शह-मात के इस खेल में एक दूसरे को पटखनी देने की पुरजोर कोशिशों में जुटी है. एक तरफ सत्ता में काबिज NDA गठबंधन है, जो अपनी सत्ता बचाने के लिए तमाम तरह की रणनीति बना रही है, वही दूसरी और महागठबंधन है, जो इस बार के चुनाव में किसी भी कीमत पर जीत का स्वाद चखना चाहती है. इन सबके बीच एक स्वतंत्र मोर्चा भी है, जो इस दोनों से इतर एक तीसरे विकल्प के रूप में बिहार में प्रभावी सरकार गठन का दावा कर रही है. 

इस बार RJD की कोशिशें महागठबंधन के नेतृत्व में सत्ता में आसीन होने की है और इसके लिए राजद नेता तेजस्वी यादव लोगों से लगातार लोक लुभावन वादे कर रहे हैं. लेकिन राजद की सत्ता में वापसी की राह इतनी आसान नहीं है. सत्ता विरोधी लहर का आस लगाए बैठी राजद को इस चुनाव में भी निराशा हाथ लग सकती है और इसके कुछ वजहें भी है.

संगठनात्मक कमजोरी और अंदरूनी गुटबाज़ी

राजद का संगठन कई इलाकों में कमजोर नज़र आता है. ज़मीनी कार्यकर्ताओं और शीर्ष नेतृत्व के बीच तालमेल की कमी पार्टी के लिए नुकसानदायक हो सकती है. कई सीटों पर टिकट वितरण के समय असंतोष भी दिख सकता है, जो चुनावी नतीजों पर असर डाल सकता है.

नेतृत्व पर जनता का भरोसा न होना

हालांकि तेजस्वी यादव की लोकप्रियता युवाओं में है, लेकिन नेतृत्व को लेकर अभी भी एक तबका संशय में है. विपक्षी दल लगातार उनके अनुभव और नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठा रहे हैं, जिससे मतदाताओं के बीच विश्वास की कमी चुनौती बन सकती है.

जातीय समीकरण पर अत्यधिक निर्भरता

राजद अब भी पारंपरिक वोटबैंक पर काफी हद तक निर्भर है, जबकि नई राजनीतिक परिस्थितियों में सिर्फ जातीय समीकरणों से चुनाव जीतना मुश्किल हो गया है. अन्य वर्गों को जोड़ने में असफलता पार्टी के लिए हार का कारण बन सकती है.

भ्रष्टाचार के पुराने आरोपों की छवि

राजद पर अतीत में लगे भ्रष्टाचार के आरोप आज भी पार्टी की छवि पर असर डालते हैं. विपक्ष इस मुद्दे को लगातार चुनावी मुद्दा बनाता है, जिससे युवा और पहली बार वोट करने वाले मतदाताओं में नकारात्मक धारणा बन सकती है.

विकास और मुद्दों पर ठोस रणनीति की कमी

जहां सत्ताधारी दल विकास योजनाओं और उपलब्धियों को गिनाकर मतदाताओं को आकर्षित कर रहा है, वहीं राजद के पास अभी तक कोई ठोस विकास रोडमैप स्पष्ट रूप से सामने नहीं आया है. केवल आलोचना करने से आगे बढ़कर विकास पर ठोस वादे और योजना न बनाना पार्टी के लिए चुनौती बन सकता है.