पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की मजबूत स्थिति दिख रही है. खास तौर पर सीमांचल क्षेत्र में बीजेपी और जेडीयू को बड़ा लाभ होता नजर आ रहा है.
इस सफलता का श्रेय असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) को जाता है. पहले सीमांचल को एनडीए के लिए कमजोर माना जाता था लेकिन अब ओवैसी की पार्टी के अच्छे वोटों से एनडीए को फायदा मिल रहा है.
सीमांचल मुस्लिम बहुल इलाका है. यहां किशनगंज, अररिया, पूर्णिया और कटिहार जिले आते हैं. इन जिलों में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 30 प्रतिशत से 65 प्रतिशत तक है. पहले महागठबंधन (राजद, कांग्रेस और अन्य) का यहां मजबूत प्रभाव था.
हालांकि, अब ओवैसी ने मुस्लिम वोटों को बांट दिया है. उन्होंने प्रचार में कहा कि महागठबंधन की पार्टियां मुस्लिमों का सिर्फ इस्तेमाल करती हैं. मतदाताओं ने उनकी बात सुनी और राजद-कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया.
ओवैसी ने सीमांचल में जोरदार चुनाव प्रचार किया. वे मुस्लिमों को विश्वास दिलाते रहे कि उनकी पार्टी ही असली हितैषी है. शुरुआती रुझानों से पता चलता है कि मुस्लिम वोटरों ने एआईएमआईएम को समर्थन दिया, जिससे एनडीए को सीधा लाभ हुआ.
सीमांचल में कुल 24 विधानसभा सीटें हैं. खबर लिखे जाने तक एनडीए को इनमें से करीब 20 सीटों पर बढ़त मिल रही है. पार्टी-वाइज देखें तो, महागठबंधन- कांग्रेस 12 सीटों पर, राजद 9 सीटों पर, वीआईपी 2 सीटों पर लड़ रही है. एनडीए- बीजेपी 11 सीटों पर, जेडीयू 10 सीटों पर, चिराग पासवान की एलजेपी 3 सीटों पर. एआईएमआईएम- 15 सीटों पर चुनाव मैदान में है.
आईएम ने 5 सीटें जीती थीं लेकिन बाद में उनके विधायक राजद में चले गए थे. इस बार ओवैसी की रणनीति से वोट बंटवारे का फायदा एनडीए को मिल रहा है.
ओवैसी की एंट्री से महागठबंधन के वोट कट रहे हैं. मुस्लिम मतदाता दो हिस्सों में बंट गए हैं. एक हिस्सा एआईएमआईएम को और बाकी महागठबंधन को. इससे एनडीए के उम्मीदवार आसानी से आगे निकल रहे हैं. सीमांचल में एनडीए की यह लहर पूरे बिहार चुनाव पर असर डाल रही है.
ओवैसी ने अनजाने में बीजेपी को मजबूत बना दिया है. बिहार चुनाव के नतीजे आने बाकी हैं लेकिन सीमांचल की तस्वीर साफ है कि ओवैसी का कमाल एनडीए के लिए वरदान साबित हो रहा है.