पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के रुझानों में एनडीए को भारी सफलता मिलती दिख रही है और इस शानदार बढ़त के बीच जेडीयू के मुस्लिम उम्मीदवारों का प्रदर्शन चौंकाने वाला रहा है. पूरे चुनाव के दौरान माना जा रहा था कि मुस्लिम समुदाय इस बार जेडीयू से दूरी बनाए रखेगा और परंपरागत रूप से आरजेडी के MY समीकरण को फायदा मिलेगा लेकिन शुरुआती रुझानों में तस्वीर बिल्कुल उलट नजर आई है.
जेडीयू ने इस बार केवल 4 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया था और इनमें से 3 उम्मीदवार आगे चल रहे हैं. अररिया से शगुफ्ता अजीम, जोकिहाट से मंजर आलम और चैनपुर से जमा खान अपने प्रतिद्वंदियों पर बढ़त बनाए हुए हैं, जबकि आमौर से सबा जफर पीछे चल रही हैं.
रुझानों के मुताबिक एनडीए 190 से ज्यादा सीटों पर बढ़त बना चुका है, जबकि महागठबंधन 45 के आसपास सीमित है. जेडीयू और बीजेपी दोनों ही 80 से अधिक सीटों पर आगे हैं, जिससे गठबंधन की स्थिति बेहद मजबूत दिखाई दे रही है. पिछले चुनाव में मात्र 43 सीटें जीतने वाली जेडीयू का इस बार का प्रदर्शन ऐतिहासिक बताया जा रहा है.
आरजेडी अपने परंपरागत MY समीकरण पर भरोसा कर रही थी, लेकिन इस समीकरण को नीतीश कुमार की रणनीति ने कमजोर कर दिया है. मुस्लिम वोटों को लेकर इस बार जेडीयू के लिए कई चुनौतियां थीं. वक्फ बिल का विवाद, बांग्लादेशी घुसपैठ पर रुख, SIR को लेकर बहस और पिछले ट्रेंड यह संकेत दे रहे थे कि मुसलमान जेडीयू से दूरी बनाएंगे. लेकिन अररिया और जोकिहाट जैसी सीटों पर जहां विपक्ष ने मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे, वहां भी जेडीयू के मुस्लिम उम्मीदवारों को मजबूत समर्थन मिला.
यह संकेत है कि मुस्लिम मतदाता इस बार जातीय समीकरण से हटकर स्थानीय मुद्दों और उम्मीदवारों की विश्वसनीयता को प्राथमिकता दे रहे हैं. इस चुनाव में कुल 79 मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें से केवल दो महिलाएं हैं. AIMIM ने 23 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि जन सुराज ने 21 टिकट दिए हैं.
आरजेडी ने 18 और कांग्रेस ने 10 मुस्लिम उम्मीदवारों को अवसर दिया है. इसके बावजूद जेडीयू के केवल 4 मुस्लिम उम्मीदवारों में से 3 का आगे रहना उनकी रणनीति की सफलता का संकेत माना जा रहा है.