Bihar Assembly Elections 2025: बिहार की सियासत में एक बार फिर गर्मी बढ़ने लगी है और इस बार केंद्र में मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान पूरी तरह एक्शन में हैं. 2020 के विधानसभा चुनावों में जिस तरह उन्होंने नीतीश कुमार की जेडीयू को घेरकर कमजोर किया था, वैसी ही चालें अब एक बार फिर दोहराई जा रही हैं. फर्क बस इतना है कि इस बार बहाना बिहार में बिगड़ती कानून-व्यवस्था है.
चिराग ने हाल ही में लगातार कई तेज हमले नीतीश सरकार पर किए, खासकर राज्य में हुई हाई-प्रोफाइल हत्याओं को लेकर. उन्होंने कहा कि बिहार में कानून-व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है, अपराधी बेलगाम हैं और पुलिस मूक दर्शक बनी हुई है. उन्होंने गुस्से में पूछा, 'आखिर कितने बिहारियों की हत्या होगी?' चिराग ने पटना के पॉश इलाके में दिनदहाड़े हुई कारोबारी गोपाल खेमका की हत्या को लेकर सरकार को सीधे कटघरे में खड़ा किया और कहा कि जब राजधानी में ये हाल है तो गांवों में क्या स्थिति होगी.
चौंकाने वाली बात ये है कि चिराग खुद एनडीए का हिस्सा हैं और केंद्र में मंत्री भी, लेकिन फिर भी वे नीतीश कुमार पर सीधे-सीधे हमला कर रहे हैं, भाजपा पर एक भी शब्द नहीं बोल रहे. उनका कानून-व्यवस्था पर हमला भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के कुछ ही घंटों बाद आया. 2020 में भी उन्होंने एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ा था, लेकिन भाजपा से नाता नहीं तोड़ा. उनकी लोजपा ने ज्यादातर जेडीयू उम्मीदवारों के खिलाफ अपने प्रत्याशी उतारे और 27 से ज्यादा सीटों पर जेडीयू को हराने में भूमिका निभाई.
अब जब एक बार फिर बिहार चुनाव करीब हैं, चिराग ने एलान कर दिया है कि वे सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. इससे अटकलें तेज हो गई हैं कि चिराग कहीं फिर से 2020 वाली रणनीति दोहराने की तैयारी में तो नहीं हैं? उनके इस बदले तेवरों का मकसद यह भी हो सकता है कि भाजपा से मिलकर सीटों का बेहतर बंटवारा हासिल किया जाए. अगर बात नहीं बनी, तो वह फिर से नीतीश के खिलाफ मोर्चा खोल सकते हैं, ताकि नुकसान सिर्फ जेडीयू को हो, भाजपा को नहीं.
जेडीयू, जो खुद को अब भी बड़ा खिलाड़ी मानती है, शायद चिराग की मांगों के आगे झुके नहीं. ऐसे में अगर चिराग अकेले चुनावी रण में उतरते हैं, तो नीतीश कुमार की मुश्किलें कई गुना बढ़ सकती हैं. स्वास्थ्य कारणों और राजनीतिक दबाव से पहले ही जूझ रहे नीतीश के लिए यह चुनाव अब तक का सबसे कठिन मुकाबला साबित हो सकता है.
क्या चिराग फिर से नीतीश का खेल बिगाड़ेंगे? क्या भाजपा एक बार फिर चुपचाप यह सब होते देखेगी? आने वाले हफ्ते बिहार की सियासत में कई बड़े मोड़ ला सकते हैं.