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तेजस्वी यादव के बाद दो वोटर ID विवाद में फंसी विपक्षी सांसद की पत्नी, गड़बड़ी की खुली पूरी साजिश

बिहार की सियासत में हलचल मच गई जब भाकपा (माले) सांसद सुदामा प्रसाद की पत्नी शोभा देवी के नाम दो वोटर आईडी पाए गए. दो अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों से जुड़े इस खुलासे ने गंभीरता बढ़ा दी, क्योंकि सुदामा खुद मतदाता सूची गड़बड़ी के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट गए थे.

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Edited By: Princy Sharma
Bihar Assembly Elections 2025
Courtesy: Pinterest

Bihar Assembly Elections 2025: बिहार की राजनीति में उस समय नया बवाल खड़ा हो गया जब भाकपा (माले) के सांसद सुदामा प्रसाद की पत्नी शोभा देवी के नाम पर दो अलग-अलग वोटर आईडी कार्ड होने की जानकारी सामने आई. चुनाव आयोग के सूत्रों ने बताया कि शोभा देवी के पास दो IPC नंबर – RGX 3264140 और WVA 0308544 रेजिस्टर्ड हैं, जो दो अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों से जुड़े हैं.

इस खुलासे के बाद यह मामला और गंभीर हो गया क्योंकि सुदामा प्रसाद वही सांसद हैं जिन्होंने बिहार की मसौदा मतदाता सूची में गड़बड़ियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. अब जब उनकी पत्नी का ही नाम दो जगह से पंजीकृत मिला, तो सवाल उठने लगे हैं कि क्या वाकई मतदाता सूची में पारदर्शिता है या फिर गड़बड़ी कहीं और है.

शोभा देवी के 2 वोटर कार्ड

जानकारी के अनुसार, शोभा देवी का एक वोटर कार्ड आरा विधानसभा क्षेत्र में दर्ज है, जहां लावारिस सेवा केंद्र को मतदान केंद्र बनाया गया था. वहीं दूसरा कार्ड अगियांव विधानसभा क्षेत्र से जुड़ा है, जिसमें सामुदायिक भवन अरैल मतदान केंद्र बना था. दो जगह से पंजीकरण का यह मामला अब 'दोहरे ईपीआईसी नंबर' विवाद का हिस्सा बन गया है, जिससे पहले राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव भी घिर चुके हैं.

तेजस्वी यादव ने कुछ दिन पहले दावा किया था कि उनका नाम मसौदा वोटर लिस्ट से हटा दिया गया है, जिसके बाद चुनाव आयोग ने उनसे उनके दोनों ईपीआईसी नंबर की जानकारी मांगी है. दीघा विधानसभा क्षेत्र के निर्वाचक पंजीयन अधिकारी ने तेजस्वी से उस वोटर कार्ड की मूल प्रति मांगी है, जो कथित तौर पर सूची से हटा दिया गया है.

मतदाता सूची में गड़बड़ी

अब सवाल उठ रहा है कि अगर मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर इस तरह की गड़बड़ी हो रही है, तो चुनाव की पारदर्शिता कैसे बरकरार रहेगी? सुप्रीम कोर्ट पहले ही इस मुद्दे को गंभीर मानते हुए 12 अगस्त को सुनवाई के लिए तिथि तय कर चुका है और कहा है कि यदि मतदाता सूची में बड़े स्तर पर नाम हटाए गए हैं तो वह तुरंत दखल देगा.

इस नए विवाद ने बिहार की सियासत को गर्मा दिया है, और अब नजरें सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई और चुनाव आयोग की जांच रिपोर्ट पर टिकी हैं.