Bihar election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं और अब सभी राजनीतिक दलों की नजर लगभग 50 लाख प्रवासी मतदाताओं पर टिकी है. विशेषज्ञों का मानना है कि ये प्रवासी वोटर इस बार चुनावी नतीजे में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं. देश के विभिन्न हिस्सों में काम करने वाले ये प्रवासी मजदूर न केवल आर्थिक रूप से बिहार से जुड़े हैं, बल्कि राजनीतिक रूप से भी राज्य के भविष्य को दिशा दे सकते हैं.
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने मार्च से ही देश के करीब 70 शहरों में प्रवासी मजदूरों से संपर्क अभियान शुरू किया था. पार्टी कोविड-19 के समय शुरू की गई कल्याणकारी योजनाओं की पोर्टेबिलिटी यानी एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाभ लेने की सुविधा पर प्रमुख रूप से जोर दे रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मॉरीशस यात्रा के दौरान भोजपुरी भाषा की प्रशंसा को भी बीजेपी की बिहारियों को साधने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. वहीं, एनडीए की सहयोगी जेडीयू के लिए भी यह वर्ग अहम है, क्योंकि 2005 के चुनाव में प्रवासी वोटरों ने पार्टी की जीत में बड़ा योगदान दिया था.
विपक्षी दल आरजेडी ने प्रवासन को राज्य सरकार की असफलता से जोड़ा है और 'हर परिवार को सरकारी नौकरी' देने का वादा किया है. यह संदेश खासतौर पर प्रवासी मजदूरों को आकर्षित करने के लिए दिया गया है. कांग्रेस ने भी 'पलायन रोको, नौकरी दो' रैली के जरिए रोजगार सृजन का मुद्दा उठाया है. महागठबंधन सामाजिक और आर्थिक न्याय के मुद्दों को केंद्र में रखकर प्रवासियों को लुभाने की कोशिश कर रहा है. आरजेडी अपने पारंपरिक यादव-मुस्लिम गठबंधन के प्रवासी वर्ग को लक्ष्य बना रही है.
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सभी दल प्रवासियों को एक समान समूह के रूप में नहीं, बल्कि जाति और समुदाय आधारित उपसमूहों में बांटकर रणनीति बना रहे हैं. बीजेपी उच्च जाति के प्रवासियों को साधने की कोशिश में है, जबकि एनडीए सुरक्षा और राष्ट्रवाद जैसे राष्ट्रीय मुद्दों को उठाकर प्रवासियों की देशभक्ति की भावना को संबोधित कर रहा है.
चुनाव आयोग ने मतदान की तारीखें दिवाली और छठ पूजा के बाद तय की हैं, ताकि त्योहारों के लिए घर लौटने वाले प्रवासी मतदाता मतदान में भाग ले सकें. हालांकि, विशेषज्ञों का ये भी मानना है कि प्रवासियों के लिए लंबी छुट्टी लेकर घर लौटना और मतदान तक रुकना आर्थिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है. इस कारण अपेक्षाकृत संपन्न प्रवासियों के वोट डालने की संभावना अधिक है, जबकि गरीब वर्ग के लिए यह कठिन रहेगा.