पेरिस ओलंपिक में रविवार को भारतीय शूटर मनु भाकर ने ब्रॉन्ज मेडल जीता. मनु ने रविवार को विमेंस 10 मीटर एयर पिस्टल में ब्रॉन्ज जीता और ओलिंपिक में पिछले 12 साल से चले आ रहे शूटिंग के मेडल का सूख समाप्त किया. जीत के बाद मनु काफी खुश नजर आईं. मेडल जीतने का बाद उन्हें कई फोन कॉल्स आए. उनके गले में मेडल लटका हुआ था.
मैच के बाद मीडिया से बात करते हुए मनु भाकर ने कहा कि मैं तनाव में नहीं थी. मैंने भगवद गीता खूब पढ़ी. और तुम भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को दी गई प्रसिद्ध सलाह को जानते हो: 'अपना कर्म करो, फल की चिंता मत करो.' इसलिए मुझे पता था कि मुझे बस अपना सर्वश्रेष्ठ देना है.
अपने कोच जसपाल राणा के बारे में बात करते हुए मनु ने कहा कि वो मेरे लिए खास हैं. उन्होंने मेरे लिए ट्रेनिंग इतनी मुश्किल बना दी कि यहां शूटिंग करना आसान हो गया. हमने तकनीकी क्षेत्रों पर बहुत मेहनत की. उनकी कोचिंग का तरीका बहुत अलग है. वे अक्सर मुझे बहुत मुश्किल लक्ष्य देते थे. अगर मैं उन्हें हासिल करने में विफल रहता, तो वे मुझे ज़रूरतमंदों को एक निश्चित राशि दान करने के लिए कहते. यह एक दिन 40 यूरो होता, तो दूसरे दिन 400 यूरो.
#WATCH | After winning the Bronze medal in Women’s 10 M Air Pistol at #ParisOlympics2024, Olympic medalist Manu Bhaker says, "...The feeling is surreal. I feel so good and happy that I could win this medal for all of us. This is coming home after so long. I am very happy. Maybe,… pic.twitter.com/bLzEiQNhwF
— ANI (@ANI) July 28, 2024
ओलंपिक में पदक जीतने को लेकर मनु भाकर ने कहा कि यह यह अगल फीलिंग है. सालों से इसका सपना देखा है. मैं 0.1 अंक से रजत पदक से चूक गई, लेकिन मुझे कोई शिकायत नहीं है. यह पदक हम सभी के लिए है, हमारे देश के लिए. मैं उन सभी को धन्यवाद देना चाहूंगी जिन्होंने इस यात्रा में मेरी मदद की - मेरे कोच, अन्य भारतीय कोच, मेरे माता-पिता, भारतीय खेल प्राधिकरण.
उन्होंने कहा कि लेकिन जश्न मनाने का समय नहीं है. मुझे कई और प्रतियोगिताओं में भाग लेना है. हां, आप हर समय अपने खेल के शीर्ष पर नहीं रह सकते और मुझे इसकी आदत हो गई है. मैं आने वाली प्रतियोगिताओं में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करूंगी. टोक्यो ओलंपिक को याद करते हुए मनु ने कहा कि टोक्यो में जो कुछ भी हुआ, वह शायद मेरी लापरवाही के कारण था, शायद मेरी गलती थी. वहां बहुत सारे सबक थे. अगर मैंने उनसे नहीं सीखा होता, तो यह नहीं होता.