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India Daily

पिता पर लगे धर्मांतरण के आरोप, टीम से हो गईं थी बाहर, टूटने की जगह जिद से जेमिमा रोड्रिग्स ने बदला वर्ल्ड कप का इतिहास

जेमिमा रोड्रिग्स ने शतक लगाकर टीम इंडिया को सेमीफाइनल में पहुंचाया. हालांकि, उनका जीवन संघर्षों से भरा रहा है और उनके पिता पर भी धर्मांतरण के आरोप लगे थे.

Jemimah Rodrigues
Courtesy: X

नई दिल्ली: जेमिमा रोड्रिग्स ने महिला विश्व कप के सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 127 रन की नाबाद पारी खेलकर भारत को जीत दिलाई. यह लक्ष्य 339 रन का था, जो विश्व कप में अब तक का सबसे बड़ा सफल रन चेज था. 

हालांकि, इस जीत के पीछे सिर्फ बल्लेबाजी नहीं बल्कि कई मुश्किलों से लड़ाई थी. टीम से बाहर होना, पिता पर लगे आरोप और व्यक्तिगत संघर्ष जेमिमा ने सबको पीछे छोड़ दिया. उन्होंने शानदार शतक लगाकर टीम को जीत दिलाई और फाइनल में पहुंचाया.

शुरुआती संघर्ष और हॉकी से क्रिकेट की ओर

जेमिमा का सफर क्रिकेट से नहीं शुरू हुआ. वह महाराष्ट्र की अंडर-17 और अंडर-19 हॉकी टीम में खेलती थीं. सुबह हॉकी की प्रैक्टिस करती और दोपहर में क्रिकेट खेला करती थीं. घुटने घायल होते लेकिन हौसला नहीं टूटता. आखिरकार क्रिकेट ने उनका दिल जीत लिया.

परिवार ने पूरा साथ दिया. पिता इवान रोड्रिग्स ने स्कूल में लड़कियों की क्रिकेट टीम शुरू करवाई ताकि बेटी अकेली न रहे. घर भांडुप से बांद्रा शिफ्ट हुआ ताकि रोड्रिग्स को सुविधाएं मिल सकें. छोटे से आंगन में नेट लगाया गया. गेंद की आवाज दीवारों से टकराती और जेमिमा अपने सपनों को मजबूत बनातीं.

पढ़ाई और क्रिकेट का संतुलन

16 साल की उम्र में जेमिमा ने 202 रन की पारी खेली. वो भी ऐसे में समय में जब उसी शाम परीक्षा थी और बाद में उन्होंने किताबें खोलकर पढ़ाई की. यह दिखाता है कि दबाव में वह टूटती नहीं बल्कि मजबूत बनती हैं. क्रिकेट और पढ़ाई दोनों में ही भारत की बेटी ने अनुशासन दिखाया.

टीम से बाहर होने का दर्द

पिछले साल अच्छी फॉर्म में होने के बावजूद जेमिमा को विश्व कप टीम से बाहर कर दिया गया. इस दौरे पर वह कई रातें रोईं. सेमीफाइनल से ठीक पहले वाले मैच में भी उन्हें बाहर बैठाया गया. दर्द दिल में था लेकिन मैदान पर ऊर्जा बनकर निकला. क्रीज पर शांत चेहरा दिखा लेकिन अंदर तूफान. 

पिता पर धर्मांतरण के आरोप

जेमिमा के पिता इवान रोड्रिग्स पर धर्मांतरण से जुड़े आरोप लगे. खार जिमखाना के कुछ सदस्यों ने शिकायत की कि इवान क्लब में धार्मिक कार्यक्रम करवाते हैं. यह विवाद परिवार के लिए मुश्किल था लेकिन जेमिमा ने इसे व्यक्तिगत संघर्ष बनने नहीं दिया. उनकी आंखें नम हो सकती थीं लेकिन बल्ला जवाब देता रहा.

ड्रेसिंग रूम की खुशी और रातों की लड़ाई

टीम में जेमिमा गिटार बजाती हैं, गाना गाती हैं और सबको हंसाती हैं लेकिन रातें अकेली लड़ती हैं. सपने बड़े होते हैं तो कीमत भी चुकानी पड़ती है. आंसू चुपके से बहते लेकिन सुबह फिर बल्ला थाम लेतीं.

सचिन तेंदुलकर से डेब्यू से पहले बात हुई. घबराहट बताई तो सचिन ने कहा, "नर्वस होना अच्छा है, मतलब खेल से प्यार है." तब से डर उनकी ताकत बन गया.

सेमीफाइनल की ऐतिहासिक पारी

ऑस्ट्रेलिया ने 338 रन बनाए. भारत को जीतने के लिए रिकॉर्ड पीछा करना था. जेमिमा क्रीज पर आईं और मुस्कुराती रहीं. स्ट्रेट ड्राइव, लेग फ्लिक जैसे शानदार शॉट लगाए और 127 रनों की नाबाद पारी खेली.

आखिरी ओवर में आंखें बंद कीं, सांस ली और गेंद को बाउंड्री पार भेजा. इसी के साथ भारत फाइनल में पहुंचा और जेमिमा इसकी नायक बनीं, जहां अब उनकी चारों तरफ चर्चा हो रही है.