अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बनकर इतिहास रचने वाले शुभांशु शुक्ला ने गुरुवार को अपना अनुभव बताते हुए कहा कि कैमरे पर खड़े होना आसान लग रहा था, लेकिन उनका सिर थोड़ा भारी लग रहा था. आधिकारिक तौर पर स्पेस स्टेशन पिन पाने वाले और अंतरिक्ष यात्री नंबर 634 बनने वाले शुक्ला ने कहा कि अगले दो हफ्ते रोमांचक होंगे.
एक्सिओम-4 के अपने साथियों के साथ स्वागत भाषण देते हुए शुक्ला ने कहा कि यह सौभाग्य की बात है कि मैं उन कुछ लोगों में शामिल हूं जिन्हें पृथ्वी को एक सुविधाजनक स्थान से देखने का मौका मिला है.बुधवार को फ्लोरिडा स्थित नासा के कैनेडी अंतरिक्ष केंद्र से स्पेसएक्स ड्रैगन अंतरिक्ष यान के माध्यम से प्रक्षेपित किए गए एक्स-4 चालक दल ने आईएसएस के हार्मोनी मॉड्यूल पर त्रुटिरहित डॉकिंग प्रक्रिया को अंजाम देने से पहले 28 घंटे की यात्रा पूरी की.
मिशन पायलट के रूप में सेवारत शुक्ला के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका की मिशन कमांडर पैगी व्हिटसन, तथा पोलैंड के मिशन विशेषज्ञ सावोज़ उज्नान्स्की और हंगरी के टिबोर कापू भी शामिल हुए. यह मील का पत्थर भारत के लिए मानव अंतरिक्ष यान में विजयी वापसी का प्रतीक है, जो 1984 में राकेश शर्मा के अग्रणी मिशन के 41 साल बाद आया है.
शुभांशु शुक्ला ने क्या कहा?
अपनी यात्रा को एक अद्भुत सफर बताते हुए शुक्ला ने कहा, मैं इसका बेसब्री से इंतजार कर रहा था और क्रू ने मेरा बहुत स्वागत किया तथा हमारे लिए अपने दरवाजे खोल दिए. मैं और भी बेहतर महसूस कर रहा हूं तथा दृश्य और मौजूदा क्रू ने मेरी अपेक्षाओं को पार कर दिया है. अगले 14 दिन रोमांचक और शानदार होने जा रहे हैं.
देशवासियों के नाम संदेश में भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुक्ला ने कहा कि यह भारत की अंतरिक्ष यात्रा का पहला चरण है और अगले 14 दिनों में अनेक वैज्ञानिक अनुसंधान किए जाएंगे. उन्होंने कहा, आपके प्यार और आशीर्वाद से मैं अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंच गया हूं. यहां खड़े रहना आसान लग रहा है, लेकिन मेरा सिर थोड़ा भारी है. हालांकि, अब सब ठीक है. यह पहला चरण है और अब हम बहुत सारे विज्ञान अध्ययन करेंगे. आइए इस यात्रा को रोमांचक बनाएं और मैं तिरंगा लेकर चल रहा हूं और मैं आप सभी को अपने साथ लेकर चल रहा हूं.
मैं यहां बहुत सो रहा हूं
अपने पहले अंतरिक्ष उड़ान के अनुभव को साझा करते हुए शुक्ला ने कहा कि जाहिर है, मैं यहां बहुत सो रहा हूं! मैं अभी भी शून्य गुरुत्वाकर्षण की आदत डाल रहा हूं जैसे एक बच्चा चलना सीख रहा है, यह पता लगा रहा है कि कैसे आगे बढ़ना है और खुद को नियंत्रित करना है. लेकिन मैं वास्तव में हर पल का आनंद ले रहा हूं. गलतियां करना ठीक है वास्तव में किसी और को गलतियाँ करते देखना और भी मज़ेदार है! यह अब तक एक मज़ेदार, अवास्तविक समय रहा है, और मुझे यकीन है कि आगे और भी बहुत कुछ है. आगे क्या होता है, इसका इंतज़ार है!