Durga Pandal In Delhi: दिल्ली की गलियां जब शरद ऋतु की ठंडी हवाओं और पीले पत्तों से भर जाती हैं, तब पूरा शहर मां दुर्गा के स्वागत में जगमगा उठता है. नवरात्रि के साथ-साथ दिल्ली में बंगाली समुदाय पूरे उत्साह से दुर्गा पूजा का आयोजन करता है. इस बार 27 सितंबर से 2 अक्टूबर 2025 तक दिल्ली और उसके आस-पास के इलाकों में भव्य पंडाल सजेंगे, ढाक और ढोल की धुन बजेगी और मां दुर्गा का स्वागत पूरे भक्ति भाव से होगा.
दुर्गा पूजा अब सिर्फ बंगाल तक सीमित नहीं है, बल्कि दिल्ली-NCR में भी यह त्योहार कला, संस्कृति, आस्था और स्वाद का अनोखा संगम बन चुका है. चलिए दिल्ली-एनसीआर के मशहूर दुर्गा पूजा पंडाल के बारे में बताएंगे जहां आप एक बार दर्शन करने जा सकते हैं.
दिल्ली की सबसे पुरानी पूजा, जिसकी शुरुआत 1910 में हुई थी. यहां की खासियत है पारंपरिक मूर्तियां और पुराने रीति-रिवाज. 'डाकर सज' (चांदी की पन्नी से बनी मूर्ति सजावट) यहां की शान होती है. अगर आप पारंपरिक बंगाली पूजा का असली अनुभव चाहते हैं, तो यह जगह जरूर जाएँ.
CR पार्क को दिल्ली का 'मीनी कोलकाता' कहा जाता है. यहां के पंडाल हर साल अलग-अलग थीम पर सजाए जाते हैं और भव्य मूर्तियों से सभी का दिल जीत लेते हैं. शाम को यहां सांस्कृतिक कार्यक्रम, नाटक और नृत्य होते हैं. साथ ही, आनंद मेला के फूड स्टॉल्स पर आपको मिलेगा असली बंगाली भोग, मछली के पकवान और रसगुल्ले-संदेश जैसी मिठाइयां.
1940 से चली आ रही यह पूजा अपनी सादगी और अपनापन के लिए मशहूर है. यहां की मूर्तियां, धुनुची नृत्य और भोग वितरण परिवारों के लिए एक यादगार अनुभव बनाते हैं. अगर आप भीड़-भाड़ से दूर एक घरेलू माहौल चाहते हैं, तो यह पंडाल आपके लिए परफेक्ट है.
यहां का माहौल शांत और पारिवारिक होता है. सुंदर मूर्तियां, पुष्पांजलि, सांस्कृतिक शामें और शानदार भोग सेवा इसकी खासियत हैं. यहां की सजावट सादगी और शान का संतुलन बनाए रखती है.
अगर आप भव्यता देखना चाहते हैं, तो अराम बाग के पंडाल सबसे आगे हैं. बड़े बजट की सजावट, चमचमाती लाइट्स और नई-नई थीम्स इसे इंस्टाग्राम-योग्य लोकेशन बना देते हैं. यहाँ पर रोजाना सांस्कृतिक प्रस्तुतियां और नृत्य-गान का आयोजन होता है.