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वक्त है, संभल जाइए! डिप्रेशन और अकेलापन को बढ़ावा दे रहा है सोशल मीडिया, कम हो रही है दिमाग की ये खास पावर

सोशल मीडिया निगेटिव थॉट्स को बढ़ावा दे सकता है. इसका मेंटल हेल्थ पर कई तरह से बुरा प्रभाव पड़ता है. युवाओं में यह खतरा ज्यादा हो सकता है, क्योंकि वे दिन में ज्यादातर समय इन ऐप्स पर बिताते हैं.

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Manish Pandey
वक्त है, संभल जाइए! डिप्रेशन और अकेलापन को बढ़ावा दे रहा है सोशल मीडिया, कम हो रही है दिमाग की ये खास पावर

सोशल मीडिया का क्रेज आज युवा ही नहीं हर उम्र को लोगों में देखने को मिल रहा है. बाहरी दुनिया में क्या चल रहा है, उसकी अपडेट्स, दोस्तों से कनेक्ट रहने के लिए हर कोई किसी न किसी सोशल मीडिया प्लेटफार्म (Social Media) से जुड़ा है. यह एक वर्चुअल दुनिया है, जो आपको दूर रहकर भी फ्रेंड्स के पास रहने का एहसास कराती है लेकिन क्या आप जानते हैं यह मेंटल हेल्थ के लिए बेहद खतरनाक है. हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक, डिप्रेशन, टेंशन अकेलापन, सेल्फ-हार्म और खुद को नुकसान पहुंचाने वाले निगेटिव थॉट्स का जोखिम सोशल मीडिया चलाने से कई गुना तक बढ़ सकता है. 

 

सोशल मीडिया से सावधान

सोशल मीडिया के मेंटल हेल्थ पर इफेक्ट को लेकर प्यू रिसर्च सेंटर ने 1,300 से ज्यादा टीनएजर पर सर्वे किया. इसमें पता चला कि 35% से ज्यादा टॉप-5 सोशल मीडिया प्लेटफार्म में से किसी एक पर सबसे ज्यादा समय बिता रहे हैं. इनमें यूट्यूब, टिकटॉक, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट और फेसबुक शामिल हैं. इसका सबसे ज्यादा असर दिमाग पर देखने को मिल रहा है.

 

मेंटल हेल्थ और नींद

आयोवा स्टेट यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने एक रिसर्च किया, जिसमें उन्होंने पता लगाने की कोशिश की दिन में 30 मिनट से ज्यादा सोशल मीडिया का यूज दिमाग को किस तरह प्रभावित कर सकता है. इस स्टडी में दो हफ्ते तक जिन छात्रों ने इसका उपयोग कम किया, उनमें से ज्यादातर में बेहतर साइकोलॉजिकल वेल बीइंग और बढ़िया नींद की स्थिति पाई गई.

 

एक्सपर्ट क्या कहते हैं

मनोचिकित्सक का कहना है कि अगर आप सोशल मीडिया पर जो समय बिता रहे हैं, उसे कम करते हैं तो चिंता, डिप्रेशन, अकेलापन और निगेटिव विचार कम होती हैं और पॉजिटिव एनर्जी आती है. यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिल्वेनिया में हुई एक स्टडी बताती है कि जिस ग्रुप के लोगों ने सोशल मीडिया का यूज कम किया, उनमें 3 हफ्ते के अंदर ही अकेलापन और डिप्रेशन की भावनाओं में महत्वपूर्ण सुधार देखने को मिला है. इस आधार पर शोधकर्ताओं का कहना है कि, सोशल मीडिया भले ही वर्चुअली लोगों से कनेक्ट करता है लेकिन इसके गंभीर नुकसान भी होते हैं.

 

स्टडी क्या कहती है

यह स्टडी बताती है कि सोशल मीडिया पर कम से कम समय बिताना चाहिए. चूंकि सोशल मीडिया निगेटिव कंटेंट्स से भरा हुआ है, जिसका सीधा असर दिमाग और उसके काम करने पर पड़ता है. इसलिए बेहतर है कि आप खुद ही धीरे-धीरे इनसे दूरी बनाने की कोशिश करें.