नई दिल्ली: बॉलीवुड के पावर कपल विक्की कौशल और कैटरीना कैफ ने 7 नवंबर 2025 को अपने पहले बच्चे, एक लड़के का स्वागत किया है. कपल ने इंस्टाग्राम पर यह खुशखबरी एक इमोशनल पोस्ट के साथ शेयर किया. लेकिन यहां एक दिलचस्प बात है - क्या आप जानते हैं कि जिस महीने में आप जन्मे हैं वह आपके सेहत पर खास असर डालता है.
कई एक्सपर्ट का कहना है कि जहां जीन और लाइफस्टाइल आपके स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, वहीं जिस मौसम में आप पैदा होते हैं उसका आपके शरीर और दिमाग पर भी चौंका देने वाला प्रभाव पड़ सकता है. रिचर्स ने पाया है कि अलग-अलग महीनों में पैदा हुए लोगों में जीवन में आगे चलकर कुछ स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होने की संभावना होती है.
उदाहरण के लिए, वसंत ऋतु में पैदा हुए बच्चों में वयस्क (adult) होने पर मल्टीपल स्क्लेरोसिस का खतरा बढ़ जाता है, जबकि सर्दियों में पैदा हुए बच्चों में सिजोफ्रेनिया या अस्थमा होने की संभावना अधिक होती है. यह समस्याएं बच्चों और मां के संपर्क में आने वाली चीजो से जुड़ा है जैसे तापमान, आहार, धूप, हार्मोन और यहां तक कि मौसमी वायरस भी. ये फैक्टर मौसम के साथ बदलते हैं और जन्म से ही आपके शरीर के विकास को प्रभावित कर सकते हैं.
21,000 से ज्यादा बच्चों पर किए गए हार्वर्ड के एक अध्ययन से पता चला है कि सर्दियों में पैदा होने वाले बच्चों के वजन, कद और मस्तिष्क के विकास में अक्सर गर्मियों में पैदा होने वाले बच्चों की तुलना में थोड़ा अंतर होता है. विशेषज्ञों का कहना है कि नवंबर और फरवरी के बीच पैदा होने वाले बच्चों में जन्म के कुछ हफ्तों के अंदर ही पहला श्वसन संक्रमण (respiratory infection) जैसे हल्का जुकाम या बुखार होने की संभावना ज्यादा होती है.
हालांकि रोगाणुओं (microbes) के संपर्क में आने से कभी-कभी डिफेंस सिस्टम मजबूत हो सकती है, लेकिन RSV (रेस्पिरेटरी सिन्सिटियल वायरस) जैसे कुछ संक्रमण आगे चलकर अस्थमा के खतरे को बढ़ा सकते हैं. सर्दियों में बच्चों के स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों का सामना करने का एक और बड़ा कारण है विटामिन D की कमी .
छोटे दिन और कम धूप के कारण, सर्दियो में शरीर कम विटामिन D का प्रोडक्शन करता है. यह विटामिन मजबूत हड्डियों और हेल्थ डिफेंस सिस्टम के लिए जरूरी है. डॉक्टरों का कहना है कि गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं के स्वस्थ विकास के लिए विटामिन डी की आवश्यकता होती है. गर्भावस्था के दौरान इसकी कमी से मल्टीपल स्क्लेरोसिस जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है और मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ सकता है, जिससे ऑटिज्म या मनोविकृति (psychosis) होने की संभावना बढ़ जाती है.
Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. theindiadaily.com इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.