नॉर्मल डिलीवरी से आगे निकला सी सेक्शन, आंकड़े देख नहीं होगा आंखों पर यकीन, बदल रहा है मां बनने का तरीका

डिलीवरी का तरीका तेजी से बदल रहा है. पहली बार इंग्लैंड में नॉर्मल डिलीवरी से ज्यादा बच्चों का जन्म सी सेक्शन से हुआ है. भारत में भी ऑपरेशन डिलीवरी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. नए आंकड़े मां और बच्चे की सेहत को लेकर कई अहम सवाल खड़े करते हैं.

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Babli Rautela

नई दिल्ली: डिलीवरी का नाम सुनते ही ज्यादातर लोगों के दिमाग में नॉर्मल डिलीवरी की तस्वीर बनती है. लंबे समय तक यही माना जाता रहा कि सामान्य तरीके से जन्म ही सबसे सुरक्षित और बेहतर विकल्प है. लेकिन हाल के आंकड़े बताते हैं कि यह सोच अब तेजी से बदल रही है. मेडिकल सिस्टम और समाज दोनों में ऑपरेशन के जरिए डिलीवरी को लेकर स्वीकार्यता बढ़ी है.

इंग्लैंड में पहली बार ऐसा हुआ है जब सी सेक्शन डिलीवरी की संख्या नॉर्मल डिलीवरी से ज्यादा हो गई है. NHS के नए आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल करीब 45 प्रतिशत बच्चों का जन्म सी सेक्शन के जरिए हुआ. वहीं लगभग 44 प्रतिशत डिलीवरी नॉर्मल तरीके से दर्ज की गईं. इसके अलावा करीब 11 प्रतिशत मामलों में फोर्सेप्स या वैक्यूम जैसे उपकरणों की मदद से डिलीवरी कराई गई.

नॉर्मल डिलीवरी से ज्यादा हुए सी सेक्शन डिलीवरी

ये आंकड़े साफ तौर पर बताते हैं कि डिलीवरी का तरीका तेजी से बदल रहा है. यह सिर्फ मेडिकल जरूरत का मामला नहीं रह गया है बल्कि इसमें प्लानिंग और सुविधा का पहलू भी जुड़ गया है. अप्रैल 2024 से मार्च 2025 के बीच इंग्लैंड के अस्पतालों में पांच लाख बयालीस हजार से ज्यादा डिलीवरी दर्ज की गईं. इनमें सी सेक्शन की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा रही.

डेटा में यह भी सामने आया है कि हर दस में से चार से ज्यादा सी सेक्शन पहले से प्लान किए गए थे. इन्हें मेडिकल भाषा में इलेक्टिव सी सेक्शन कहा जाता है. यानी ये डिलीवरी किसी अचानक आई इमरजेंसी की वजह से नहीं बल्कि पहले से तय सर्जरी के रूप में की गई थीं. यह ट्रेंड बताता है कि कई महिलाएं और डॉक्टर अब पहले से ऑपरेशन डिलीवरी को चुन रहे हैं.

उम्र के साथ बढ़ता सी सेक्शन का चलन

उम्र भी इस बदलते ट्रेंड में बड़ी भूमिका निभा रही है. आंकड़ों के अनुसार 30 साल से कम उम्र की महिलाओं में नॉर्मल डिलीवरी ज्यादा देखने को मिली. वहीं 30 साल से ऊपर की महिलाओं में सी सेक्शन के मामले बढ़ गए. 40 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं में करीब 59 प्रतिशत डिलीवरी सी सेक्शन से हुई. बढ़ती उम्र के साथ जोखिम बढ़ने को इसका एक कारण माना जा रहा है.

यह बदलाव सिर्फ इंग्लैंड तक सीमित नहीं है. भारत में भी सी सेक्शन डिलीवरी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे एनएफएचएस पांच के अनुसार देश में करीब 21.5 प्रतिशत डिलीवरी सी सेक्शन से हो रही हैं. यानी हर पांच में से एक बच्चा ऑपरेशन के जरिए जन्म ले रहा है. यह आंकड़ा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तय सीमा से कहीं ज्यादा है.