भीषण गर्मी और हीटवेव के कहर की मार सबसे ज्यादा हज यात्रियों पर पड़ रही है. हज यात्रा में अब तक 1000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं हजारों लोग मक्का के अस्पतालों में भर्ती हैं. केवल मिस्र के ही 600 से ज्यादा हज यात्रियों की मौत हो चुकी है. भीषण गर्मी, मिस्र के लोगों की जान ले रही है. मक्का में तापमान 51-52 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है,जिसे लोग झेल नहीं पा रहे हैं. हज में अलग-अलग देशों से लोग आए हैं, जिनके देशों में यहां के तापमान का स्तर बहुत कम है.
मिस्र और मक्का के तापमान में ही करीब 20 डिग्री का अंतर है. मिस्र का तापमान अभी 30 डिग्री के आसपास है, वहीं मक्का का तापमान 51 डिग्री (123 डिग्री फॉरेनहाइट कोर्ट) है. ये तापमान भी मिस्र के लोगों के लिए जानलेवा हो रहा है.
सऊदी अरब प्रशासन का कहना है कि ज्यदातर उन्हीं तीर्थयात्रियों की मौत हो रही है, जिन्होंने हज आने के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है. जिन्हें प्रशासन की ओर से हज यात्रा की परमिट मिली है, उन्हें अत्याधुनिक सुविधाएं मिल रही हैं. उनके लिए एसी कैंप, खाने और पीने की सुविधा है. अस्पताल हैं और डॉक्टर हैं.
मिस्र अब भी आर्थिक संकट से बुरी तरह गुजर रहा है. मिस्र से बड़ी संख्या में लोग बिना हाजी वीजा के मक्का आ रहे हैं. वे टूरिस्ट वीजा पर सऊदी अरब आते हैं मक्का में पवित्र मस्जिद की ओर आने लगते हैं. वे न तो महंगे होटल अफोर्ड कर सकते हैं, न ही स्थानीय प्रशासन की मदद ले सकते हैं. यहीं से गलतियां शुरू होती हैं और उन्हें जान देकर इसकी कीमत चुकानी पड़ती है.
मिस्र के लोगों कई ऐसी गलतियां कर रहे हैं, जिनकी वजह से सऊदी अरब सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं. सऊदी अरब, आम विदेशियों के लिए दो तरह का वीजा देता है. एक टूरिस्ट वीजा, एक हाजी वीजा. हाजी वीजा का एक तय कोटा है, उससे ज्यादा यात्रियों को रजिस्टर्ड तरीके के आने की इजाजत, प्रशासन नहीं देता है. हर देश के मुसलमान, बड़ी संख्या में हज करना चाहते हैं और आवेदन देते हैं. सबके आवेदन स्वीकार नहीं होते हैं.
आमतौर पर सऊदी अरब आने के लिए लोग ट्रैवेल एजेंसी का सहारा लेते हैं. ट्रैवेल एजेंसियां ही अपने ग्राहकों के लिए खाने से लेकर ट्रांसपोर्ट तक का अरेंजमेंट करती हैं. मक्का में कई ट्रैवेल एजेंट्स हैं, जो अपने-अपने देशों के नागरिकों के लिए सुविधाएं ऑफर करते हैं. ये सभी सुविधाएं, गैर रजिस्टर्ड हाजियों के लिए नहीं मिलतीं.
भारत जैसे देश में लोगों को धार्मिक स्थलों के आसपास सराय और ठहरने की व्यवस्था मिल जाती है लेकिन सऊदी अरब के रेगिस्तानी इलाके में ऐसी सुविधाएं नहीं हैं. हज यात्रा की जबसे शुरुआत हुई है, तब से लकेर अब तक करीब 171000 लोग, बिना हाजी वीजा के ही मक्का आ गए हैं. सऊदी डायरेक्टर ऑफ पब्लिक सिक्योरिटी मोहम्मद बिन अब्दुल्लाह अल बासमी ने कुछ दिन पहले आदेश दिया था कि जो भी अवैध तरीके से आता दिखे उसे गिरफ्तार कर लो लेकिन अनरजिस्टर्ड यात्रियों का आना नहीं रुका.
जो लोग हाजी वीजा पर नहीं आते हैं उन्हें एसी टेंट, पानी, छांव और कूलिंग सेंटर्स पर ठहरने नहीं दिया जाता है. उन्हें यात्रा का कोई 'पास' जारी नहीं किया जाता है. उन्हें मेडिकल और एंबुलेंस सेवाएं भी नहीं मिलती हैं, जिसकी वजह से उनकी मौत तक हो जाती है. पूरे मक्का में मिस्र के हाजियों के लिए कोई टेंट नहीं है. यहां का तापमान 51-52 डिग्री होता है, मिस्र में 30-31 तक तापमान है. वहां लोग खराब मौसम में खुद को संभाल ही नहीं पा रहे हैं.
इस्लाम में हज, 5 स्तंभों में से एक है. शहादा, नमाज़, रोज़ा, ज़कात और हज. हर मुसलमान के लिए अपने जीवन काल में एक न एक बार हज करना अनिवार्य होता है. धार्मिक प्रतिबद्धताओं की वजह से भी मिस्र के लोग बड़ी संख्या में हज करने आ रहे हैं. ऐसे में मिस्र के लोग, बड़ी संख्या में टूरिस्ट वीजा पर ही हज करने आ जाते हैं. हज वीजा हासिल करने की प्रक्रिया बेहद कठिन है. मिस्र की एक बड़ी आबादी आर्थिक संकट का सामना कर रही है. ऐसे में वे टूरिस्ट वीजा पर आकर भी बहुत अच्छी सुविधाओं का लाभ नहीं उठा पाते हैं.