15 महीने तक चले इजरायल-हामास संघर्ष के बाद अब इसकी समाप्ति की दिशा में एक अहम कदम उठाया गया है. इजरायल और हमास के बीच हुए युद्धविराम समझौते के तहत दोनों पक्षों ने एक दूसरे के यहां बंदी बने लोगों की अदला-बदली करने का सहमति व्यक्त की है. इस ऐतिहासिक समझौते की घोषणा अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने की, जिन्होंने इसको अपनी विदेश नीति के सबसे महत्वपूर्ण क्षण के तौर पर पेश किया. हालांकि, ट्रंप और बाइडेन दोनों ही इस डील का श्रेय लेने में पीछे नहीं रहे.
बाइडेन प्रशासन का योगदान
ट्रंप प्रशासन का भी रहा प्रभाव
डोनाल्ड ट्रंप ने भी इस समझौते का श्रेय लेने में कोई संकोच नहीं किया. उनका कहना था कि उनकी प्रशासन की ऐतिहासिक जीत की वजह से इस समझौते को संभव किया जा सका. ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया पर लिखा, “यह ऐतिहासिक युद्धविराम हमारे नवंबर महीने में हुई शानदार जीत के परिणामस्वरूप हुआ है, और यह पूरी दुनिया को संदेश देता है कि हमारी सरकार शांति चाहती है.” ट्रंप ने आगे कहा कि उनका प्रशासन इजरायल के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखने के लिए सक्रिय रूप से काम करेगा, चाहे वे व्हाइट हाउस में हों या नहीं.
विश्लेषकों ने यह भी कहा कि ट्रंप की तीव्र बयानबाजी और उनके धमकीपूर्ण बयान इस समझौते को साकार करने में सहायक रहे. जनवरी 7 को ट्रंप ने एक चेतावनी दी थी कि अगर वह 20 जनवरी तक कार्यालय संभालने के बाद इस युद्धविराम को सुनिश्चित नहीं करते तो "मध्य पूर्व में घातक स्थिति उत्पन्न हो जाएगी." यह भी देखा गया कि ट्रंप के प्रतिनिधि, स्टिव विटकोफ ने इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पर दबाव डालने का काम किया.
नेतन्याहू पर दबाव
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पर भी युद्धविराम के लिए दबाव पड़ा. उनके आलोचकों का कहना है कि उन्होंने कुछ संधियों को खत्म करने के लिए जानबूझकर उनपर अड़चन डाली, ताकि उन्हें दक्षिणपंथी सहयोगियों के समर्थन की आवश्यकता न हो. उनके और हामास के बीच समझौते के वार्तालाप में असहमति होती रही, लेकिन ट्रंप और बाइडेन दोनों के प्रभाव ने इस प्रक्रिया को गति दी. जब यह समझौता अंतिम रूप ले रहा था, तब नेतन्याहू ने पहले ट्रंप और फिर बाइडेन से इस पर बातचीत की और दोनों का धन्यवाद किया.
भविष्य की दिशा: क्या होगा अगला कदम?
समझौते के पहले चरण में हतियारों की अदला-बदली, इजरायली सैनिकों की गाजा से वापसी, और फिलिस्तीनियों की घर वापसी की प्रक्रिया शामिल होगी. इसके अतिरिक्त, इस युद्धविराम समझौते को इजरायल की कैबिनेट द्वारा औपचारिक रूप से स्वीकृत करना जरूरी है, और निर्णय 19 जनवरी को लिया जाएगा.