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India Daily

'40 सालों तक अफगानिस्तान में हमारा दखल', पाकिस्तानी रक्षा मंत्री का बड़ा खुलासा

इंटरव्यू में आसिफ ने कहा, हमने पिछले 40 वर्षों में अफगानिस्तान के आंतरिक मामलों में गहरी पैठ बनाई रखी, लेकिन अब हम इस नीति को पूरी तरह त्याग रहे हैं. हमारी कोई व्यक्तिगत शत्रुता नहीं थी हम केवल बाहरी शक्तियों के इशारों पर काम करते रहे.

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Edited By: Gyanendra Sharma
Pakistan
Courtesy: Social Media

Pakistani Defense Minister पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक इंटरव्यू में देश के लंबे समय से चले आ रहे विदेशी हस्तक्षेप की सच्चाई को कबूल किया है. उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि पाकिस्तान ने करीब चार दशकों तक अफगानिस्तान के आंतरिक मामलों में सक्रिय रूप से हस्तक्षेप किया, लेकिन अब यह अध्याय समाप्त हो चुका है. 

इंटरव्यू में आसिफ ने कहा, "हमने पिछले 40 वर्षों में अफगानिस्तान के आंतरिक मामलों में गहरी पैठ बनाई रखी, लेकिन अब हम इस नीति को पूरी तरह त्याग रहे हैं. हमारी कोई व्यक्तिगत शत्रुता नहीं थी; हम केवल बाहरी शक्तियों के इशारों पर काम करते रहे." यह बयान अप्रैल 2025 में दिए गए एक वायरल इंटरव्यू से प्रेरित लगता है, जहां उन्होंने अमेरिका और पश्चिमी देशों के लिए "गंदा काम" करने की बात स्वीकार की थी. उस समय आसिफ ने खुलासा किया था कि सोवियत संघ के खिलाफ 1980 के दशक में अफगानिस्तान युद्ध के दौरान पाकिस्तान ने आतंकवादी समूहों को समर्थन दिया, जो वास्तव में अमेरिकी एजेंडे का हिस्सा था.

सीमा पर दोनों देश के बीच तनाव

आसिफ का यह नए बयान अफगानिस्तान के साथ तनावपूर्ण संबंधों के बीच आया है. हाल ही में दोनों देशों के बीच सीमा पर झड़पें बढ़ी हैं, जहां पाकिस्तान ने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के ठिकानों पर हवाई हमले किए. आसिफ ने अरब न्यूज को दिए साक्षात्कार में कहा कि अफगानिस्तान अब भारत का "प्रॉक्सी" बन गया है और काबुल से पाकिस्तान के खिलाफ साजिश रची जा रही है. उन्होंने चेतावनी दी कि पाकिस्तान अब पुराने रिश्तों को बरकरार नहीं रख सकता और किसी भी आतंकवादी गतिविधि का कड़ा जवाब देगा.

क्षेत्रीय विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्वीकारोक्ति पाकिस्तान की विदेश नीति में एक बड़ा बदलाव दर्शाती है. लंबे समय से अफगानिस्तान की अस्थिरता में पाकिस्तान की भूमिका पर अमेरिका, भारत और अन्य देश सवाल उठाते रहे हैं. 1980 के दशक से शुरू हुए सोवियत-अफगान युद्ध में पाकिस्तान ने आईएसआई के माध्यम से मुजाहिदीन समूहों को हथियार और प्रशिक्षण दिया, जो बाद में तालिबान और अल-कायदा का रूप ले लिया. 9/11 के बाद भी पाकिस्तान ने अमेरिकी नेतृत्व वाले युद्ध में सहयोग किया, लेकिन बदले में आर्थिक और सैन्य सहायता प्राप्त की. आसिफ के अनुसार, यह "गलती" पाकिस्तान को महंगा पड़ी, जिससे देश में आतंकवाद का बोलबाला हो गया.

नेशनल असेंबली में बोलते हुए आसिफ किया बड़ा खुलासा

नेशनल असेंबली में बोलते हुए आसिफ ने कहा, "हमारी धैर्य की सीमा पार हो चुकी है. अफगानिस्तान में छिपे आतंकवादी अब हमारी सीमाओं पर हमला कर रहे हैं, और हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे." उन्होंने पाकिस्तान की सैन्य तैयारियों का जिक्र करते हुए कहा कि देश किसी भी आक्रमण का मुकाबला करने को तैयार है. यह बयान 48 घंटे के युद्धविराम के बाद आया है, जब दोनों पक्षों ने सीमा पर गोलीबारी रोकी थी, लेकिन शक-शुब्हाओं का सिलसिला जारी है.