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India Daily

'ट्रंप का शांति प्रस्ताव मंजूर, लेकिन...', पुतिन ने यूक्रेन को दिया अल्टीमेटम

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ट्रंप के प्रस्तावित शांति-योजना को सैद्धांतिक आधार मानने की बात कही, लेकिन साथ ही यूक्रेन को कब्जे वाले क्षेत्रों से पीछे हटने का अलटीमेटम देकर युद्ध जारी रखने की चेतावनी भी दे दी.

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Edited By: Kuldeep Sharma
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Courtesy: social media

नई दिल्ली: यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए अमेरिका की ओर से तैयार की गई संभावित शांति-योजना ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल बढ़ा दी है. डोनाल्ड ट्रंप द्वारा समर्थित इस प्रस्ताव को रूस ने ध्यान से पढ़ा है, और पुतिन ने संकेत दिया है कि यह भविष्य की बातचीत के लिए आधार बन सकता है. 

हालांकि उन्होंने यूक्रेन पर कड़ा दबाव डालते हुए कहा कि सैन्य कार्रवाई तभी रुकेगी जब यूक्रेनी सेना कब्जे वाले इलाकों को छोड़ दे. इस बीच, प्रस्ताव की शर्तों ने वैश्विक बहस तेज कर दी है.

पुतिन का सशर्त तैयार होने का दावा

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने किर्गिस्तान में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पुष्टि की कि अमेरिका और यूक्रेन ने जिनेवा में जिस योजना पर बातचीत की थी, उसका एक संस्करण रूस को भी सौंपा गया है. उन्होंने माना कि कुछ बिंदुओं में अमेरिका ने रूस के दृष्टिकोण को ध्यान में रखा है. पुतिन ने कहा कि यह 'भविष्य के समझौतों का आधार' हो सकता है, लेकिन कई मुद्दों पर अब भी विस्तार से चर्चा आवश्यक है.

यूक्रेन को दिया सख्त संदेश

पुतिन ने बातचीत की इच्छा व्यक्त करने के तुरंत बाद कठोर शर्तें रख दीं. उन्होंने साफ कहा कि लड़ाई तभी रुकेगी जब यूक्रेन की सेना 'उन क्षेत्रों से पीछे हटेगी जिन्हें वह नियंत्रित कर रही है.' पुतिन ने यह भी कहा कि यदि यूक्रेन ऐसा नहीं करता, तो रूस अपने सैन्य लक्ष्यों को 'हथियारों के बल पर' हासिल करेगा. उन्होंने यूक्रेन की सरकार को अवैध बताते हुए दावा किया कि जेलेंस्की का कार्यकाल समाप्त हो चुका है, जिससे किसी औपचारिक समझौते पर दस्तखत 'कानूनी तौर पर असंभव' हो जाते हैं.

ट्रंप की योजना पर बढ़ता विवाद

डोनाल्ड ट्रंप द्वारा समर्थित शांति-योजना पर अमेरिका में भी तीखी आलोचना हो रही है. कई नेताओं ने इसे 'रूस की मांगों की सूची' जैसा बताया. लीक हुए प्रारूप में यूक्रेन के लिए बड़े क्षेत्रीय समझौते की शर्त थी डोनबास क्षेत्र छोड़ना, क्रीमिया पर रूसी नियंत्रण मानना और कई मोर्चों पर पीछे हटना. साथ ही यूक्रेन की सेना छोटी रखने, विदेशों के हथियार न रखने और NATO में शामिल न होने जैसी शर्तें भी शामिल थीं, जिन्हें लेकर गंभीर विवाद है.

जेलेंस्की की मुश्किल स्थिति

यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की पहले ही कह चुके हैं कि यह योजना उनके लिए 'सम्मान खोने' और 'सहयोगी खोने' के बीच की दर्दनाक पसंद जैसी थी. युद्ध की भारी कीमत को देखते हुए उन्होंने संकेत भी दिया कि कभी-कभी कठोर फैसले अपरिहार्य हो जाते हैं. हालांकि यूरोपीय देशों की सक्रिय बातचीत के बाद प्रस्ताव में बदलाव किए गए हैं और अब यह 28 से घटकर 19 बिंदुओं में रह गया है. यूक्रेन ने संकेत दिया है कि वह संशोधित प्रस्ताव पर चर्चा के लिए तैयार है.

मैदान पर बढ़ता तनाव

कागजों पर बातचीत चल रही है, लेकिन जमीन पर हालात बदस्तूर तनावपूर्ण हैं. ताजा खबरों में बताया गया है कि रूस ने एक बड़े ड्रोन हमले में यूक्रेन के कई इलाकों में भारी क्षति पहुंचाई. ऐसे हमलों ने इस पूरी कूटनीतिक कवायद को और भी जटिल बना दिया है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय की कोशिशें जारी हैं, पर फिलहाल शांति की राह बेहद कठिन दिख रही है.