US Presidential Election 2024: अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए वोटिंग अभी भी जारी है. हालांकि, कुछ राज्यों में वोटिंग खत्म हो चुकी है.वहीं, 50 राज्यों के 538 इलेक्टोरेल वोट्स यानी सीटों के लिए वोटिंग मंगलवार को भारतीय समय के मुताबिक शाम 4 बजे शुरू हुई. जो कि आज सुबह करीब 9:30 तक प्रमुख राज्यों में वोटिंग खत्म हो जाएगी. फिलहाल, केंटकी, इंडियाना, साउथ कैरोलाइना, वर्मोंट, वर्जीनिया और अहम बैटलग्राउंड स्टेट जॉर्जिया में वोटिंग समाप्त हो गई है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जॉर्जिया उन सात राज्यों में से एक है जो राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे तय करेंगे. फिलहाल, अब तक 13 राज्यों में वोटिंग पूरी हो गई है. ऐसे में यहां नतीजे भी आ गए हैं, जिसमें 9 राज्यों में डोनाल्ड ट्रम्प और वहीं, 4 में कमला हैरिस ने चुनाव जीता है. ऐसे में ट्रम्प की पार्टी रिपब्लिकन को बढ़त मिली हुई.
डोनाल्ड ट्रम्प और कमला हैरिस के बीच कड़ा मुकाबला!
इस बीच वॉशिंगटन डीसी में कमला हैरिस के समर्थक हावर्ड यूनिवर्सिटी के बाहर इकट्ठा हो रहे हैं. कमला हैरिस इसी यूनिवर्सिटी से पढ़ी हैं और आज की इलेक्शन नाइट पार्टी की जगह भी यही तय की गई है.ऐसे में राष्ट्रपति पद के लिए रिपब्लिकन पार्टी के डोनाल्ड ट्रम्प और डेमोक्रेटिक पार्टी की कमला हैरिस के बीच कड़ा मुकाबला बना हुआ है. यदि, कमला जीतीं तो 230 साल के इतिहास में पहली बार कोई अमेरिकी महिला राष्ट्रपति बनेगी.
अमेरिका में लोकतंत्र "बहुत" या "कुछ हद तक" खतरे में
इसके अलावा डोनाल्ड ट्रंप की इलेक्शन पार्टी के लिए मीडिया आयोजन स्थल पर तैयार है. वहां समर्थकों और राष्ट्र के लिए संभावित संबोधन के लिए मंच सजाया गया है. हालांकि, शुरुआती एग्ज़िट पोल में जिन लोगों से पूछा गया है, उनमें से लगभग तीन-चौथाई का कहना है कि उन्हें लगता है कि अमेरिका में लोकतंत्र "बहुत" या "कुछ हद तक" खतरे में है. लगभग 10 में से 7 वोटर चुनाव के नतीजों से जुड़ी हिंसा की आशंका जता रहे हैं.
जानिए अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में वोटरों के क्या हैं अहम मुद्दे?
वहीं अगर ट्रम्प जीतते हैं तो 4 साल बाद व्हाइट हाउस में वापसी करेंगे. कमला हैरिस फिलहाल अमेरिका की उप-राष्ट्रपति हैं, वहीं ट्रम्प 2017 से 2021 तक राष्ट्रपति रह चुके हैं. फिलहाल, शुरुआती एग्ज़िट पोल के मुताबिक़, लोकतंत्र और अर्थव्यवस्था इस चुनाव में वोटरों के लिए सबसे बड़े मुद्दे हैं. इससे पहले वोटिंग के बीच कई केंद्रों पर बम से जुड़ी धमकियां मिलीं. एफ़बीआई का कहना है कि इनमें से कई धमकियां "रूस के ईमेल डोमेन से आती दिखाई दे रही हैं."