US H-1B Visa Fees: ट्रंप के H-1B वीजा फीस के नियम में हुआ बदलाव, इन लोगों को मिल सकती है छूट
US H-1B Visa Fees: अमेरिका ने एच-1बी वीजा पर 100,000 डॉलर की नई फीस लागू की है, लेकिन रिपोर्ट्स के अनुसार डॉक्टरों और मेडिकल रेजिडेंट्स को इससे छूट मिल सकती है. यह फैसला अमेरिकी अस्पतालों की जरूरत को देखते हुए लिया जा सकता है क्योंकि देश के कई हिस्सों में डॉक्टरों की भारी कमी है.
US H-1B Visa Fees: अमेरिका की ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए नए नियम के तहत एच-1बी वीजा आवेदन पर 100,000 डॉलर की भारी फीस तय की गई है. इस फैसले से विदेशी प्रोफेशनल्स, खासकर भारतीय आईटी और मेडिकल क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों में चिंता बढ़ गई थी. हालांकि अब रिपोर्ट्स में संकेत दिए गए हैं कि इस शुल्क से डॉक्टरों को छूट दी जा सकती है.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, डॉक्टरों और मेडिकल रेजिडेंट्स को इस फीस से बाहर रखने पर विचार किया जा रहा है. दरअसल, अमेरिका में कई ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में डॉक्टरों की भारी कमी है. ऐसे में विदेशी प्रशिक्षित डॉक्टरों को एच-1बी वीजा के माध्यम से वहां भेजा जाता है ताकि स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध रह सकें. अमेरिकी मेडिकल एसोसिएशन (AMA) के अध्यक्ष बॉबी मुक्कमला ने भी स्पष्ट किया कि अंतरराष्ट्रीय मेडिकल ग्रेजुएट्स अमेरिकी स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए बेहद जरूरी हिस्सा हैं.
कुछ संभावित छूटों का प्रावधान
व्हाइट हाउस प्रवक्ता टेलर रोजर्स ने बताया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 19 सितंबर को जारी की गई उद्घोषणा में कुछ संभावित छूटों का प्रावधान है, जिनमें डॉक्टर और मेडिकल रेजिडेंट शामिल हो सकते हैं. यह स्पष्टीकरण तब आया जब अस्पतालों और मेडिकल संगठनों ने चिंता जताई कि 100,000 डॉलर की फीस से स्टाफ की कमी और गंभीर हो जाएगी. स्वास्थ्य शोध समूह KFF के आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में 7.6 करोड़ अमेरिकी ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं जहां प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा के डॉक्टरों की कमी आधिकारिक रूप से दर्ज है.
संस्थानों पर अतिरिक्त बोझ
फेडरल रिकॉर्ड दिखाते हैं कि अमेरिका के प्रमुख संस्थान जैसे मेयो क्लिनिक, क्लीवलैंड क्लिनिक और सेंट जूड चिल्ड्रन रिसर्च हॉस्पिटल एच-1बी वीजा के बड़े स्पॉन्सर हैं. अकेले मेयो क्लिनिक के पास 300 से अधिक मंजूर वीजा हैं. यदि यह फीस लागू होती है तो इन संस्थानों पर करोड़ों डॉलर का अतिरिक्त बोझ पड़ सकता है.
शुल्क नए आवेदन पर लागू
प्रशासन ने स्पष्ट किया कि यह 100,000 डॉलर की फीस केवल 21 सितंबर के बाद दाखिल नए आवेदन पर लागू होगी. पहले से दाखिल किए गए आवेदन इससे प्रभावित नहीं होंगे. साथ ही यह शुल्क एक बार का भुगतान होगा, इसे हर साल नहीं देना पड़ेगा. ट्रंप प्रशासन के इस फैसले ने विदेशी प्रोफेशनल्स और उनके नियोक्ताओं में घबराहट पैदा कर दी. भारतीय पेशेवरों पर इसका असर सबसे अधिक है क्योंकि 2024 तक के आंकड़ों में करीब 71 प्रतिशत एच-1बी वीजा धारक भारतीय हैं. कई विदेशी कामगारों ने तत्काल अमेरिका लौटने की योजना बनाई. दशकों से यह वीजा भारतीय प्रतिभाओं के लिए अमेरिका के रोजगार बाजार में प्रवेश का एक अहम जरिया रहा है.
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