H-1B Visa 2025: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया फैसलों में H-1B वीजा सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहा है. ट्रंप ने H-1B वीजा आवेदन के लिए सालाना $100,000 फीस लगाने का निर्णय लिया है, जिससे अमेरिका में काम करने वाले विदेशी पेशेवरों और कंपनियों पर बड़ा असर पड़ा है. इस फैसले के खिलाफ US चैंबर ऑफ कॉमर्स अब कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी कर रहा है.
ट्रंप का कहना है कि यह कदम अमेरिका की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में मदद करेगा, लेकिन इसके असर अब साफ दिखने लगे हैं. कई कंपनियों ने अपने कर्मचारियों के लिए H-1B वीजा देना बंद कर दिया है, जिससे कई लोगों के करियर और रोजगार पर सीधा प्रभाव पड़ा है.
मुकदमे के बावजूद, चैंबर ने राष्ट्रपति ट्रंप के एजेंडे के कुछ पहलुओं को भी स्वीकार किया. समूह ने कर सुधारों को सुनिश्चित करने, ऊर्जा स्वतंत्रता को बढ़ावा देने और उन नियामक बाधाओं को कम करने के प्रयासों पर प्रकाश डाला, जिन्होंने ऐतिहासिक रूप से विकास को बाधित किया है. एएनआई
के अनुसार, ब्रैडली ने आगे कहा कि चैंबर कुशल श्रमिकों के लिए वीज़ा प्रक्रिया में सुधार के लिए व्यावहारिक सुधारों पर प्रशासन और कांग्रेस के साथ सहयोग करने के लिए तैयार है.
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने इस शुल्क का समर्थन करते हुए कहा कि कंपनियों को एक कर्मचारी के मूल्य को $100,000 की लागत के आधार पर तौलना चाहिए, जो नियुक्ति रणनीतियों में संभावित बदलाव का संकेत है.